Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 234
________________ अनुसंधान-१६ • 229 बारहक्खर-कक्क-महमंद-मुणि-विरझ्य, संपादक. ह. भायाणी. प्रकाशक : अपभ्रंश साहित्य अकादमी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी राजस्थान २००० ककहरा या बावनी नागक साहित्यिक विधानी उत्तरकालीन अपभ्रंश भाषामां रचेली एक मध्यकालीन कृति. सिद्धसेन शतक. अनुवादक - विवेचक मुनि भुवनचंद्र. प्रकाशक : जैन साहित्य अकादमी, गांधीधाम (कच्छ), २०००. सिद्धसेन दिवाकर कृत 'द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका मांथी चूंटेला सो श्लोकोनो सविवरण गुजराती अनुवाद। अनुयोगद्वार सूत्रम्-चूर्णि-विवृत्ति-सहित. प्रथम विभाग सम्पादक : मुनि जम्बूविजय. जैन-आगम-ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्क १८(१) प्रकाशक : महावीरजैन विद्यालय, मुम्बई. १९९९. विस्तृत गुजराती प्रस्तावना, संस्कृत आमुख अने अंग्रेजी Foreward साथे. जैन दर्शनमां श्रद्धा (सम्यग्दर्शन), मतिज्ञान अने केवलज्ञाननी विभावना. कर्ता नगीन जी. शाह. पो.जे. अध्यात्म व्याख्यानमाळा ग्रंथ ६, प्रकाशक : भोळाभाई जेशिंगभाई अध्ययन-संशोधन विद्याभवन, अमदावाद. २००० श्रद्धा, सम्यग्दर्शन, मतिज्ञान अने केवलज्ञाननी विभावनाओनी वैदिक, बौद्ध अने जैन दर्शनोनी तुलनात्मक मौलिक विचारणा । अन्वय. संस्कृत भाषासाहित्य- त्रैमासिक. अंक बीजो. संपादक विजय पंड्या. प्रकाशक : पार्श्व पब्लिकेशन-अमदावाद. २०००. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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