Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 238
________________ अनुसंधान-१६ • 233 रजूआत वैज्ञानिक पद्धतिए करेल छे. महाराष्ट्री, जैन महाराष्ट्री, शौरसेनी, जैन शौरसेनी, मागधी अने अर्धमागधी एटली प्राकृतोतुं निरूपण छे. वान देन बोश बेल्जियमना घेन्टनगरमां आवेली युनिवर्सिटी ऑफ घेन्टमां अध्यापक छे. Viyāhapannatti (Bhagavai). The Fifth Anga of the Jaina Canon. (Introduction, Critical Analysis, Commentry and Indexes) by Jozef Delen, Publisher. De Tempel, Tenpelhof 37, Brngje(Beljil)(1970). सद्गत डॉ. योझेफ देलेउए एमना आ पुस्तकमां जैन आगमना पांचमा अंग 'भगवई वियाहपन्नत्ति' विषयोनुं शतकवार पृथक्करण टीका-टिप्पण साथे रजू कर्यु छे. 'भगवई'नी रचना विशे ७० जेटलां पृष्ठमां सविस्तार विचारणा करी छे. चाळीशेक पृष्ठमां शब्दसूचिओ आपी छे. देलेउए घेन्ट युनिवर्सिटीमां वर्षो सुधी अध्यापन कार्य कयुं हतुं. राजशेखरना 'प्रबंधकोश'ना कोशविज्ञाननी दृष्टिए नोंधपात्र शब्दो, 'महानिसीह'नुं अध्ययन, 'निरआवलियाओ' वगेरे एमनुं संशोधन कार्य प्रकाशित थयुं छे. - हरिवल्लभ भायाणी बाठाक पृष्ठमा शब्दसूची आपीछे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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