Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसंधान-१६ • 239 सीहगिरिना सीस मनोहर, धणगिरि वयर सुसीसा । अरिहदत्तगुरु सि(स)मितायरिआ, भद्र सुगुप्त मनीसा ॥१२७॥ आम होय तेम जणाय छे.
-- किं ए बोलाती जबान- सूचन करे छे. आवी गेय रचनाओ ज्यारे गवाय त्यारे गानार जे उच्चार-लढणथी तेने बोले-गाय, ते ज्यारे लखाय त्यारे आवा प्रयोग सर्जाता होय छे. अने आवा प्रयोगोनुं पण महत्त्व छे, ते सचवावा जोईए. घणीवार, कर्ता तथा कृतिना समयनो के प्राचीनता-नवीनतानो निर्णय करवामां, आवा सानुस्वार-निरनुस्वार पाठो-पाठांतरो खप लागे पण छे.)
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