Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 243
________________ अनुसंधान - १६ • 238 'स्थूलिभद्रबारमासा'नी लगभग प्रत्येक कडीमां किं (अनुस्वारसहित ) छपायो छे। कि अव्यय अनुस्वाररहित होवो जोइए । हस्तप्रतमां किं होय तो पण संशोधके ए सुधारी लेवो जोइए अने पादनोंध के प्रस्तावनामां तेवी नोंध करवी जोइए । तत्त्वविजयजी कृत हरियाळी सुंदर छे । आनो उकेल छे कलम | कलमने अहीं नारीरूपे समस्यानो विषय बनाव्यो छे । कलम 'बरू' नामना घासमांथी बनाववामां आवे छे। आ घास ऊंचुं अने मजबूत होय छे । “बे नारीए मळीने नर उत्पन्न कर्यो" शाही अने कलम द्वारा अक्षर उत्पन्न थाय छे । 'चार पत्नीवाळो पुरुष' एटले अंगूठो, चार पत्नी ते चार आंगळीओ । 'पिस्तालीस आगमनी पूजा' नोंधपात्र छे। आ पूजामां जल, चंदन वगेरेनो उपयोग नथी, टिप्पणमां बदाम अने वासपूजानो उल्लेख छे । आजे प्रचलित पूजा विधि करतां भिन्न प्रकारनी विधिओ पण हती ए तथ्य केटलाक वर्तमान प्रश्नोनो हल शोधवामां सहायक बनी शके । 'बृहत् शांतिस्तोत्र' नी पंदरमी सोळमी सदीनी वाचना आ ज अंकमां छपाई छे, तेने तपासतां पण आवुं ज एक तथ्य हाथ लागे छे । क्रियाकलापमा काले काले संस्करण - संमार्जन थतां रह्यां छे तेनुं आ एक उदाहरण बने छे । 1 ( नोंध : मुनि भुवनचंद्रजी 'अनुसन्धान' मां ऊंडो रस ले छे अने तेनी सामग्रीनुं सूक्ष्मेक्षिकाथी अवलोकन करी जरूर जणाय त्यां सम्मार्जन सूचवे छे, घणी आवकार्य वात छे. अन्य मुनिगण तथा विद्वज्जनो आ प्रकार अपनावशे तो अमने विशेष बळ मळशे. -' जम्मुत्सवो' प्रयोग पण मान्य छे. ब्लूअ तथा लंबणो ए वाचन - -क्षति छे. - कडी १२६-१२७ नी वाचना : बहुपद पन्नवणा पन्नवणा, निज्जूढा भगवंत । वीसमो य पटयेधर जाणो सामसूरि गुणवंतिइ भविआ, प्रणमो भवि उपगारी थिविरावलिइ कह्या जे थेरा, ते प्रणमो गणधारी ॥ १२६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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