Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 236
________________ अनुसंधान-१६ • 231 जेसलमीरना बीजा भंडारोनी कागळनी हस्तप्रतोनी नवी सूचि मुनिजीओ अने साध्वीजीओनी सहायथी तैयार करवामां आवी हती। (२) जैनविद्या : नेमिचन्द्र विशेषांक (अंक १९ एप्रिल १९९७-९८) जैन विद्या संस्थान. दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी (राजस्थान) 'गोम्मटसार' आदिना कर्ता, अग्यारमी शताब्दीमां थई गयेला नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्तीए प्रतिपादित करेल जैन कर्मसिद्धान्त वगेरेने लगता परिचय लेखो आ अंकमां आपवामां आव्या छ। (३) पाणिनिकृत अष्टाध्यायी । पाणिनिकृत अष्टाध्यायी । गुजराती भाषांतर कर्ता : जयंतीलाल ही. भट्ट, संपादक : किशोरचंद्र भा. पाठक । भूमिकाखंड अने प्रथम भाग । रु. १५०+ ८५०. प्रकाशक : गोपालकृष्ण ट्रस्ट, जूनागढ । १९९९ । पहेलीवार 'अष्टाध्यायी', गुजराती भाषांतर अभ्यासीओने उपलब्ध बने छ । भूमिकामां पाणिनिपरंपरा वगेरेने लगती जे माहिती आपी छे तेथी 'सिद्धहेमशब्दानुशासन'नो अभ्यास करनार माटे पण आ अनुवाद उपयोगी थशे । Early Modern Indo-Aryan Languages, Literature and Culture. संपादको : A.W.Entwistle, C. Salomon, H. Paulvels, M.C. Shapiro, Rs. 800, 1999. Manohar Publishers, New Delhi. वॉशिंग्टन युनिवर्सिटी (सिएटल)मां १९९४मां भरायेल नव्य भारतीयआर्य भाषाओना भक्तिसाहित्यने लगता छठ्ठा आंतरराष्ट्रीय संमेलनमां रजू थयेला आ निबंधोमांथी The Apabhramisa cariu as courtly poem (R.J.Cohen), Bārahmāsa in Condāyan and in Folk Traditions (S.M. Pandey), The eñdadi type of songs in oral and written Traditions of Northern India. (H.C.Bhayani) निबंधो, प्राकृत-जैन साहित्यमा रस धरावनारने माटे उपयोगी. 'अनुसंधान'अंक २ मां उपलब्ध सौथी प्राचीन बारहमासा 'जिणधम्म सूरि बारहमावंउ' (संपा. रमणीकभाई शाह) प्रकाशित थयेल छ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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