Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 232
________________ १. ४. ६. अनुसंधान - १६ • 227 केलांक संशोधनो / प्रकाशनो विषे ३. प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी- अमदावादना उपक्रमे, मध्यकालना मुस्लिम कवि अब्दुल रहमाणनी अपभ्रंश भाषामय रचना 'संदेशरासक' बे भागमां पुनः प्रकाशित थई छे. एनुं संपादन डो. हरिवल्लभ भायाणीए कर्तुं छे. प्रथम भागमां मूळ कृति तथा ते पर जैनमुनि हंसरत्नकृत अवचूरिनो, अने द्वितीय भागमां विस्तृत अभ्यास लेख तेम ज अंग्रेजी - गुजराती अनुवादो, परिशिष्टोनो समावेश थयो छे. ७. उपाध्याय श्रीयशोविजयजी - कृत 'ज्ञानसाराष्टक' ग्रन्थ उपर भावनगरनां डो. मालती के. शाहे महानिबन्धरूपे अभ्यास ग्रन्थ तैयार कर्यो छे, जेने गुजरात युनिवर्सिटीए Ph.D. माटे मान्य करेल छे. आ ग्रंथ श्रीहेमचन्द्राचार्य निधि, अमदावादना उपक्रमे प्रकाशनाधीन छे. ४५ जैनागमो पैकी १० प्रकीर्णकोमांना एक 'मरणसमाधि' ग्रंथ उपर अमदावादना डॉ. अरुणा एम. लठ्ठाए अभ्यासपूर्ण शोधनिबंध तैयार करेल छे. ते माटे तेमने गुजरात युनि. तरफथी Ph. D. पण प्राप्त थयेल छे. आ ग्रंथ महावीर जैन विद्यालय - मुंबई द्वारा प्रकाशनाधीन छे. वि.सं. ९७५मां, नागेन्द्रकुलना आचार्य विजयसिंहसूरिजीए रचेली 'भुवनसुंदरी कहा' नामक प्राकृत भाषाबद्ध महाकथानुं संपादन विजयशीलचन्द्रसूरि द्वारा थतां हाल ते मुद्रणाधीन छे. प्रा.. टे. सो. नुं प्रथम प्रकाशन 'अंगविज्जा' (सं. मुनि पुण्यविजयजी) अलभ्य थई जतां तेनुं पुनर्मुद्रण थयुं छे. श्रीहेमचन्द्राचार्य-कृत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित महाकाव्यना ५-६-७ पर्वमय तृतीय भाग हवे मुद्रणाधीन छे. थोडा समयमां ज श्रीहेमचन्द्राचार्य निधि द्वारा तेनुं प्रकाशन थशे. स्व. आचार्य श्रीविजयनन्दनसूरिजीनी गत वर्षे उजवायेल जन्म शताब्दी निमित्ते कीर्तित्रयी नामे त्रण मुनिओए नूतन संस्कृत रचनाओनो ज समावेश करतुं एक संस्कृत सामयिक प्रकाशित कर्तुं छे : नन्दनवनकल्पतरु. तेना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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