Book Title: Anubhutsiddh Visa Yantra
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mahavir Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ ॥ श्रीअर्जुनपताका ॥ तथा १-१३-२ । ११-१२-१ ले प्रमाणे पुन: अकाक्षर मंत्र गणनानी प्राप्ति होवाथी जो विश्व शब्दथी ३ विचारीओ तो पण १-३-२ । ११-१२-१ थाय अने ते प्रमाणे 'संख्या' ओ शब्द वडे अक शब्द सहित १९' थाय, त्यारे तो तेटली संख्यावाळा अक्षरोनो अटले १९ अक्षरोनो मन्त्र [विंशति मंत्र ] दोष वाळोज समजाय छे, अने मे प्रमाणे तो षण नव वसुनी-६-९-८ ओ पदोमां नव अक्षर कह्या छे, अने पुनः खेचराशादिषु ओ पदोमा खेचर ओ पदवडे पण ९ अक्षर कह्या छे, तेथी द्विरुक्ति कथन दोष जाणवो, अने आशा अटले १० तेमज दिक् अटले पण १० अ पण द्विरुकि पुनरुक्ति दोष प्राप्त थाय छे. तथा भू विश्व=१३ ईक्षण चंद्र-१२ चंद्र प्रथिवी-११ अने युग्मैक=१२ पदोथी अमां पण विंशतिनी अज भावना विचारवी (ओटले सदोष छे विचारवी) इति तर्क विचार समाप्तः हवे द्विगुण गणत्रीवाळा विंशति यंत्रना गतिभेद कहेवाय छे. अत्रापि विंशति २० योजना-तत्र प्रथमं निरेकत्त्वे योजना अर्थ:-अहिं [ ४० नी गणत्रीवाळा ] विंशति यंत्रमा २० नी योजना आप्रमाणे त्यां प्रथम १ ना अंक रहित ३ आदि अंकोथी २० नी गणत्री थाय छे ते आ प्रमाणे पहेली तीर्थी पंक्तिमां [१३-१८-१९ मां ] ३-८-९ अटले २०॥ . बीजी तीछी पंक्तिमा [१६-१०-१४ मां] ६-१०-४ अटले २०॥ त्रीजी तीर्थी पंक्तिमां [ ११-१२-१७ मां] ११-२-७ अटले २०॥ १ भू–१ विश्व-१३ इक्षण=२ चंन्द्रचंन्द्र=११ पृथ्वीयुग्म-१२ एक-१ [अथवा एक-१ ४० ४० ४० ४० ४० १९० अने संख्या-९-१९) । ० इति द्विगुणांक ' एक-१ संख्या-९ अटले १९ ।। a. विंशतियंत्रे १० Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150