Book Title: Anubhutsiddh Visa Yantra
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mahavir Granthmala

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Page 117
________________ आत्मज्ञानका खजाना. प्रियविज्ञ पाठकवृन्द- आपको वह जानकर हर्ष होगा की, आपने जैन समाजमें आज तक गीता जैसे ग्रंथका अवश्यही अभाव था. सौभाग्यकी बात है की जिसकी पूर्ति आप महानुभावोंके समक्ष यह " अहंदगीता" ग्रंथकी चतुर्थ आवृत्ति के साथ प्रकाशित हो रही है. वैष्णव धर्ममें भगवद्गीताको कितना मान है. अर्ह गीता भी मानव समुदायके लिये. वैष्णव भगवद्गीतासे कहीं अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकती है. यदि विज्ञ पाठकोनें इसे आपनायातो । क्योंकि यह अर्हद्गीता जिस अध्यात्मज्ञानरुपी सुधा रससे ओतप्रोत है. वह अद्वितीय हैं. श्रीगौतमस्वामी प्रथमही प्रश्न कहते है कि भगवान योगियोंका और गृहस्थोंका मन वशमें हो जाता है. तो क्या कोई इसकी विधि है उत्तरमे विश्व वंदनीय प्रभु महावीर भगवान विधि बतलाने हुये क्या कहते है यह ग्रंथकी आदिमे आपके दृष्टीगोचर होगा. विशेशमें आपको ईस ग्रंथकी प्रशंसा लेखणीद्वारा क्या करूं. पाठक आप इसको खर देकर एक वक्त ईसका जरूर मनन करें. मुल कीमत रु. ७ भेट कीमत रु. २ - - प्यारे भाईयों ? क्या ? आपको आकाशकी सैर करनी है ?. तो फीर आप क्यों विचार करते हों. श्रीमहावीर ग्रंथमालासे आकाशगीनी औषधी कल्प भंगावो ताकी आपकी मनकी मुराद पूरी होगी. अगर आपको वंशीकरण चहीये तो इसी . कल्पके साथ गोपीचक्र नामका कल्प दिया है. ईस कल्पके द्वारा पत्थर हृदयभीमाम हो जाताहै. ओरईसीमें लिखी हुई औषधीओसे जलस्र्थभन अग्निं स्थंभन आदि कार्य सिद्ध होते है. यह ग्रंथ सुश्रावक नागार्जुन का बनाया हुवा है तब इसके बारेमे विशेष क्या लिख्ने. मुल कीमत रुपीया १५ व भेट कीमत रुपीया ॥ . मिलनेका ठिकानाः-एस्. के. कोटेचा, धुलीया. Aho I Shrutgyanam

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