Book Title: Anubhutsiddh Visa Yantra
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mahavir Granthmala

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Page 148
________________ ॥ श्रीअर्जुनपताका ॥ गठडी कीजे चुनाका कुंडामांहि गठडी हरतालकी मेलीजे उपर दररोज पाणी सिंचीजे. चुनो पाणीसुं नीलो राखीजे, इम मास २ सिंचीजे आपरी किसीकी छाया उपर पडन न दीजे. एकांत राखीजे, किनही रो पग फेशे राखीजे नहीं. मास दो पीछे काढीजे, पिछे दीन३घीकुआर रा रस में ग्वरल कीजे. दिन ३ काला भांगरा रा रसमें खरल कीजे, दिन ३ अर्क दुधमें खरल कीजे, दिन ३ थोहर कांटाली रा रसमें खरल कीजे. सर्व दीन १२ खरल किजे पछे टिकडी बांधिजे, पछे सेर पांच पिपली राव हांडीमे घाल बिचमे टिकडी मेल पचाईजे अग्नी प्रहर ३२ दिजे, आपरी छाया उपर पडन न दीजे अग्नी शीतल होय, तब काढीजे. सफेद बर्फ होय. असल हरताल निपजे, निसंदेह वात छे. इस्ट देवतारी पुजा किजे, पछे हरताल परीक्षा:-बावन तोलाने पाव रती बावन तोला तांबो गालने पाव रती माहे मेलीजे, कंचन होवे सही सत्य छई. पिछे खानेकी परीक्षा नामर्दन दिजे, तीन दिन तीन चावल दिजे सेर ३५ दुध तोलने खीर कर उपर पाईजे. अस्त्री २१ बरोबर सुवाणीजे पण अस्त्री हार छुटे, पण आप धापे नहीं, खलास मोडो हुवई मीसरी पईसा ११ भार उपर खवाडीजे तरा सितल हुवे. अनाज सेरपको खाय, नामदे होय सो पको मर्द हुवई. अस्त्री विना वालाने दीजे नहीं, दीजे तो इंद्री मांही संचीत उठे लोही पडे. । निपट मर्दमी हुवे तिनने चावल एक दीजे महाकामी होवे.। कोढवालेको चावल तीन दीजे, उपर रोटी चिणारी खिलावे कोढ जावे खाटो खारो न खावे । धोला चाठा वालाने चावल तीन दीजे, उपर चावल मुंगारी खीचडी चाठा सफेद जाय । पांडुरोग वालेको चावल तीन दीजे चावल साठी जीमाईजे. पांडुरोग जाय । पेट भार वालाको चाघल तीन दीजे उपर थुली गहुंरी दीजे, दुध न दीजे. पतासा दीजे पेटभार जाय. झोलो लागो होय तिनने चार दिन चार दीजे उपर उडदारी ने चावलारी खीचडी दीजे. सीतांग झोलो सर्व समाध हुवे । अस्त्री सुहागनको नहीं दीजे, जो रोगरे वास्ते देवे तो रोग जावे. पिण तिनरे संतान हुवे नहीं तिनसु अस्त्री ने नहीं दीजे । उनने काम घणो व्यापे । जीणने मिरगी वालाने दिजे दीन तीन नागरवेलके पत्र विज मिरगी जाय. खारा खाटो टालीजे गहुरो लपटोने दुध दीजे मिरगी खयन वालाने दोररती चार दिन दिजे उपर चिणारी रोटी लुखी खीलाईजे Aho ! Shrutgyanam

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