Book Title: Anubhutsiddh Visa Yantra
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mahavir Granthmala

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Page 118
________________ जैन सायन्स जगतसुंदरी पयोगमाला. जस महत्तर कौन थे ? जैनो में उनकी कितनी प्रतिष्ठा थी ? वह कितने उच्छ कोटीके पुरुष ? उस भाग्यशाली पुरुषको कोन नही पहिचानताथा ? आज उस महात्मा की कीर्तीको जैन समाजके बालगोपाल सब परिचित है. अब उनके विषय मे मै क्या लिखूं. अगर जो उनकी आश्चर्यकारक बाते देखनी होतो उनका बनाया हुवा जगतसुंदरी पयोगमाला नामके ग्रंथको दृष्टीगोचर करे. इसी ग्रंथ में प्रत्येक वस्तुओं का वर्णन दीया है केवळ वस्तु के संयोगसे अनेक चमत्कारो देख सकते हो आप इस ग्रंथको एकवक्त जरूर पढे ओर पढावे एसी आपसे नम्र प्रार्थना है. तीसरी आवृत्ति मुल किमत रुपिया १० व भेट किमत ५ रु० एक शेठकी तर्फसे मणिओं का उत्पत्तिस्थान. मानतुंग शास्त्र [कर्ता :- मानतुंग सूरि ] आजतक जनताकों मणिकी उत्पत्ति और उसकी उपयोगिता की बिलकुल खबर नथी परंतु हमारे इस ग्रंथने साराही भेद बता दिया और जनताकों होशियार कह दिया. आपको इस ग्रंथ से मणिकी उत्पत्ति ओर उसकी उपयोगिताका ज्ञान होगा. मणीद्वारा अदृश्य नाहो मन वांछित स्थानपे पहुंचना, वशिकरण, महाविषधरका विष क्षण भरमें हटा देना वगैरे बहोतसे कार्य सिद्ध हो सकते है. स्तारे मणी महाशुक्ल तीर्थ के एक गुप्त स्थानपर मिलते है. जिसका वर्णन ग्रंथकारने स्वयं ग्रंथमे दिया है. दुर्भाग्यकी बात है की उसकी उपयोगिता न मालुम होने से उसका जो उपयोग लिया जाय व न लेते हुये, उसको एसेही फेंक देनेमें आते है. परंतु अगर आप इस ग्रंथको अपने पास रखेगे तो आपको इस ग्रंथ द्वारा बहुतही फायदा होगा. इस ग्रंथके द्वारा बहुतोने मणि प्राप्त करके फायदा उठाया है आपभी लाभ उठायें. · मुल कीमत रुपीया ३ भेट कीमत रुपीया १ || नोट:- मणिओके नाम ' हनुमान मणी, निलकंठ मणी, हंसमणी इत्यादि बहुत मणी ओके जात और नाम आपको इसी ग्रंथसे मालूम होगा. Aho! Shrutgyanam

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