Book Title: Antarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 2
________________ Second Proof DL.31-3-2016-2 • महावीर दर्शन - महावीर कथा . व्य) उसके आनंद-दर्शन का, उसमें अंत-निमज्जन का अनुभव अकथ्य !! आयक्तव्य !!! उस 'अनुभवनाथ' को भीतर में जगाने की, उसे साक्षात् करने की, उस परम चैतन्य को इन .. जड शब्दों-गानों,से व्यक्त करने की अनुचिंतना और प्रति-फलश्रुति है इस'महावीर दर्शन' - महावीर कथा की एक झांकी वत् प्रस्तुति ।। महावीर अनुपमेय हैं, अनन्य हैं - विराट हैं, अमाप्य हैं, सर्व से निराले, unique हैं - सबसे बड़े, फिर भी सब से निकट ! उनके महाजीवन की एक झांकी, एक झलक भी पानां हम छद्मस्थों, अल्पज्ञों, सीमाबद्धों के लिये असम्भव है। परमगुरुओं की अंगुलि पकड़कर एवं अंतर्ध्यान की प्राणसरिता में डूबकर ही उस महाजीवन के महासागर की ओर उनके अंतस्-स्वरूप के महार्णव की ओर किंचित् जाया जा सकता है। ऐसे अद्भुत अंतर्लोक में महावीर के महाजीवन का अल्प-सा ही दर्शन कराने जा रही है यह 'महावीर दर्शन' - महावीर कथा की शब्दकृति एवं स्वरकृति यह बाह्य भी है, आंतरिक भी, बाह्यांतर Delete अंतर्लोक के अनुभव के इस सूक्ष्म उपक्रम का स्थूल आधार तो अंततोगत्वा ग्रंथ साक्ष्य ही होगा 5 परन्तु सदा ही खोज - प्रश्न रहा : ऐसे युगयुगों तक छा जाने वाले एवं लोकालोक को प्रकाशित करने वाले परमपुरुष प्रभु महावीर के महाजीवन का सर्वमान्य-सर्वस्वीकार्य - अधिकृत आधारग्रंथ कौन-सा ? - अंतिम श्रुतकेवाली युगप्रधान आचार्य भद्रबाहु का 'श्री कल्पसूत्र' - 'श्री भगवती सूत्र', 'उवसग्ग दसाओ' आदि आगमग्रंथ कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य का 'त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र' महापुराण, 'महावीर पुराण', 'वर्द्धमान पुराणादि दिगम्बर-आम्नाय के चरित्रग्रंथों श्रीमद् राजचन्द्र जैसे वर्तमान युगदृष्टाओं द्वारा लिखित चरित्रादि । - प्रज्ञाचक्षु डो. पंडितश्री सुखलालजी के गहन मौलिक चिंतनों यो.यु.श्री सहजानन्दघनजी की स्वयं-वाणी-स्वरस्थ कल्पसूत्र प्रवचन । ग्रंथ तो अनेक । उन पर भाष्य, टीकाएँ भी अनगिनत । पर प्रतिनिधि, सर्वाधिक सत्य-निकट का, एतिहासिक सर्व स्वीकार्य तथ्यों का अधिकृत आधारग्रंथ कौन-सा ? जहाँ अनेक मत-वैभिन्य हो, वहाँ आधार शायद दो ही हो सकते हैं :

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