Book Title: Angsuttani Part 02 - Bhagavai
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०४२
भगवई
२०. जइ सलेस्सा किं सकिरिया ? अकिरिया ?
गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ॥ २१. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ?
गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेंति ॥ २२. जइ प्रायजसं उवजीवंति कि सलेस्सा ? अलेस्सा ?
गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा ।। २३. जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ?
गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ।। २४. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ?
नो इणद्वे समटे । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा ने रइया । २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बीओ उद्देसो २६. रासीजुम्मतेप्रोयनेरइया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं चेव उद्देसमो
भाणियव्वो, नवरं–परिमाणं तिण्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा
संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । संतरं तहेव ।। २७. ते णं भंते ! जीवा जं समयं तेयोगा तं समयं कडजुम्मा ? जं समयं कडजम्मा
तं समयं तेयोगा? __नो इणद्वे समढे ॥ २८. जं समयं तेयोया तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं
तेयोया ? नो इण? समटे । एवं कलियोगेण वि समं, सेसं तं चेव जाव वेमाणिया नवरं
उववानो सव्वेसिं जहा' वक्कंतीए । २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. प०६।
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