Book Title: Angsuttani Part 02 - Bhagavai
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1145
________________ २४।८ १११०८ १३१५३ ११३५७ १३।६१ ७।२०४ पुच्छा २४।२०५ पुच्छा २५६८ पुच्छा जहा अग्गेयीए १३।५४ पुट्ठाइ जाव नो श३७४ पुढे जाव अणतेहि १३।६८ पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइ० ८.३ पुढविकाइय जाव परिणया ८१८ पुढविक्काइया जाव उववज्जति ६।१३१,१३२ ०पुढवि जाव बंधे ८।३६० पुढवीए जाव एगमेगंसि १२२१ पुफिया जाव चिटुंति ७।६३ पुरंदरं जाव दस ३।१०६ पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलि पुरिसे जाव अप्पवेयण ७१२२७ पुरिसे जाव पंचिहिं ११३६६ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया १५॥१३२ पुव्वरत्तावरत्त जाव जागर० २०६७ पूवि भंते लोयते पच्छा सव्वद्धा ११२६९-३०१ पेते जाव अणाणुपुषी ११२६७ पोग्गला जाव दुहा १२।७७ पोग्गला जाव नो १६१५७ पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवाण २५।१०० पोग्गले जाव विकुव्वइ ७.१६६ पोराणाणं जाव एगंतसोक्खय ११।५६ पोरेवच्चं जाव कारेमाणे १३।१०२ पोसहसालाए जाव विहरिए १२।१८ पोसहियस्स जाव विहरित्तए १२।१३ फरिसे जाव पंचविहे १२।१२८ फासेत्ता जाव आराहेत्ता २०५६ बंधइ जाव नो नपुंसगो ८।३०४ बंभचारी जाव पक्खिय १२।६ बंभचारी जाव विहरइ १२।११ ११४३७ ८.१८ ६।१२८ ८।३६० ११२१६ ७६३ उवा० २१४० ७।२०३ ७।२२६ ११३६५ १५।१२८ २०६६ ११२६७ ११२६० १२७० १६५५ प०३ ७।९१६ ३३३३ ३।४ १२।८ १२।६ ओ०सू०१५ २१५६ ८।३०४ १२।६ १२।६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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