Book Title: Angpavittha Suttani Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 5
________________ [4] वैसा नहीं हो सका / यदि अनुकूलता रही, तो सम्यग्दर्शन में लेखमाला चालू करने की भावना रखता हूँ। मैं विद्वान नहीं हूँ / विद्वानों की अनुसंधान पूर्ण प्रस्तावना जैसी तो मैं नहीं लिख सकता, अन्य साहित्य के साथ तुलनात्मक अध्ययन पूर्वक प्रस्तुत नहीं कर सकता, परंतु अपने आगमों, उसके विधि-विधानों की विशेषता आदि तथा परिचयात्मक अध्ययन प्रस्तुत कर सकता हूँ। मुझ पर कार्य भार कुछ विशेष ही रहा और साहित्य सामग्री भी कम ही उपलब्ध हुई, अपनी अल्प पढ़ाई भी बाधक रही / इन कारणों से मैं उतना नहीं कर सकता, जितना करना चाहता हूँ। इस समय जो कुछ किया जा सका, वह प्रस्तुत है / इस प्रकार यह प्रकाशन सामान्य स्वाध्यायियों के लिये विशेष उपयोगी होगा। जिनधर्मोपासक संघ-संरक्षक दानवीर महानुभावों की उदारतापूर्ण सहायता-सहयोग से ही यह आगमसेवा बन सकी है। उन सभी महानुभावों का मैं हृदय से आभारी हूँ। . दिनांक 5-1-1982 सैलाना -रतनलाल डोशीPage Navigation
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