Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 12
________________ [11] एवं अतिम णीणेत्ता अशुद्ध शुद्ध 1228 लावण्ण ...गुणलावण्ण... 1231 एवं खलु 1241 पंचवा पंच पंडवा 1242 अदिट्ठवेसगा अदिट्ठसेवगा 1243 16-18 पव्वयाओ पव्वयामो 1269 21 पढमस्सधम्मकहाणं धम्मकहाणं पढमस्स 1269 . 24 अज्झयणा अज्झयणा पण्णत्ता 1275 मतेसु मंतेसु य 1297 चुल्लसयगस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स 1306 'पण्णवाणहि / पण्णवणाहि 1307 णीणणा दोच्च दोच्चे 1342 जस्थि .. अस्थि 1350 आहल्ला आइल्लाणं 1352 13 . भगवं समणं भगवं 1360 गंते ! णं भंते! 1372 5. . ...चंमुयंतषणडवेग.... मुयंतघणचंडवेग.... 1375 वन्याभीया वज्झपाणभीया .....रुप्पुचंच..... रुप्पुरचंच.... 1391 अयमिणं.. वयमिणं * 1392 पीलाकरं पीलाकरं सावज्ज 12 सव्वं भव्वं 1425 25 ..याई... याई मयकिच्चाई 1457 1. पुवपुच्छा पुत्वभवपुच्छा .. नोट:-पृ.५४ पंक्ति 16 सूत्रांक 654 के बाद कुछ प्रतियों में निम्न पाठ भी मिलता है-" से भिक्खू वा० से जं पुण उ० बहवे समणवणीमए पगणिय 2 समुद्दिस्स तं चेव भाणियव्वं / ........." 1380

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