Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 10
________________ [9] .155 156 अशुद्ध अंतिम वियति 9 दण्डमादाणे अणदंडपतिए 156 मेत्ता अण्णे णिहराइ पढमसए शुद्ध वेयंति दण्डसमादाणे अणहादंड वत्तिए भेत्ता अण्णेण णिहरावेइ पढमसमए सुसमसुसमाए. रयनामया गोथूभा खित्तइत्तं दित्तइत्तं चरित्तविणए . 160. 253 7 25 दुसमतुसमाए 258 258 288 13 13 रयणामाया गोथूमा खित्तइत्तं चरित्तविएण णेरइयाणं 347 358 430 अंतिम 26 1. वलायमरणे तिण्णि संहेपेचा . 488 488 . 488 . मुम्मुरत्भया 23 : .....मयों 25 ....ब्भय गोयमा! सपसा 20 . . . जाव 16 हवा 23 10 महासुविणा.... वलयमरणे पच्छिमा तिण्णि संपेहेत्ता मुम्मुरुभूया .....भूयं .....ब्भूयं पुच्छा गोयमा! .. तवा जाव ओसप्पिणीइ वा अह 539 . 650 .655 . ____715 . एएपं एएणं कमेणं महासुधिणा बावत्तरि सन्धसुविणा

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