Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 8
________________ .. शुदि-पत्र पृ. पंक्ति अशुद्ध विरूवरूवेहिं चयावचइयं विइत्ता छणं 11 12 16 21 . संवेहाए शुद्ध विरूवरूहिँ सत्थेहिं चओवचइयं संधिं विदित्ता छणं छणं संपेहाए बुइया उण्णयमाणे आउट्टिकयं पुवं चेयपडिबुद्धजीवी 19. 26 बेइया उण्णयबामे आट्टीयं 2011 पव्वं 21 23 23 22 / 3 19 एवं से सूई 24 17 चेहपडिबुद्धजीवी __ण लवणे एवं सई अणुढाणो णायबाले वरस . संगई. विहरित्था पट्टगंसि दिजाणं तत्थे० सामुदाणियं पडिवायं सक्कुलिं वा, पूयं वा अणुहाणे णाम बाले पस्स संगं ति पट्टणंसि दिजमाणं . . तत्थे० कुलाहं सामु० 31 12 41 . 14 सक्कुलिं वा, फाणिय वा, पूर्व वा अणंतर अणंयर यं 43 . 2.

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