Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ अंग-पविटू सत्ताणि आयारो पढमं अज्झयणं सुयं मे आउस ! तेण भगवया एवमक्खायं // 1 // इह-मेगेसिं णो सण्णा भवइ, तंजहा पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि ? दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि,पञ्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओअहमसि,उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उड्डाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि ? अहो दिसाओ वा आगओ अहमंसि ? अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि ? एवमेगेसिं णो णायं भवइ. अत्थि मे आया उववाइए. णत्थि मे आया उववाइए के अहं आसि ? के वा इओ चुओ इह पेचा भविस्सामि // 2 // से जं पुण जाणेज्जा सहसंमइयाए परवागरणेणं. अण्णेसि वा अतिए सोचा. तंजहा-पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि. जाव अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि. एवमेगेसिं जं णायं भवइ. अत्थि मे आया उववाइए. जो इमाओ-दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ जो आगओ अणुसंचरइ सोहं / से आयावाई, लोयावाई, कम्मावाई, किरियावाई // 3 // अकरिस्सं चऽहं कारवेसु चऽहं करओ यावि समणुण्णे भविस्सामि; एयावंति सव्वावंति लोगसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति // 4 // अपरिण्णायकम्मे खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ सहेइ, अणेगरूवाओ जोणिओ संधेइ, विरूवरूवे फासे पडिसंवेदेइ // 5 / / तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया // 6 // इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए, जाईमरणमोयणाए, दुक्खपडिघायहेउं // 7 // एयावंति सव्वावंति लोगसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति // 8 // जस्सेते लोगसि कम्मसमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे-त्ति बेमि // 9 // पढमं अज्मयणं पढमो उद्देसो॥

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