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वर्ष ४० : कि० ४
वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक
अनेकान्त
( पत्र-प्रवर्तक : श्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर')
इस अंक में
विषय
क्रम
१. शान्तिनाथ स्तोत्रम्
१. आधुनिक पाण्डित्य का चरमोत्कर्षं
- गोरावाला श्री खुशालचन्द्र
३. हम यूं ही मर मिटेंगे तुमको खबर न होगी - श्री पद्मचन्द्र शास्त्री
४. मनीषी व श्रीमानों के उद्गार
५. शिलालेखों के सर्वांगपूर्ण स्तरीय प्रकाशन की आवश्यकता - डा० ज्योति प्रसाद जैन
- श्री मुन्नालाल जैन 'प्रभाकर'
८. हिन्दी जैन कवियो के कतिपय नीति काव्य - डा० गंगाराम गर्ग
पृ०
१
६. पन्ना में संरक्षित जैन प्रतिमाएँ
- श्री नरेशकुमार पाठक
१०. णमो आयरियाणं- श्री पद्मचन्द्र शास्त्री
११. जंन गीतों में रामकथा - प्रो० श्रीचन्द्र जैन
२
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६. वस्त्रधारी भ० कबसे हुए श्रीरतनलाल कटारिया १२
७. सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के अनिवार्य कारण
५
१५
१६
२२
२४
२६
१०. 'सिद्धा ण जीवा' - धवला - श्री पद्मचन्द्र शास्त्री २८ - सम्पादकीय ३०
११. जरा सोचिए : १४. श्रद्धांजलि
आवरण पृ० २
अक्तूबर-दिसम्बर १९८७
प्रकाशक :
वीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंज, नई दिल्ली -२
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