Book Title: Anekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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- गंज-बासौदा के जैन मूर्ति व यंत्र लेख
२१५ पदमसिरि पुत्र रानु भार्या सासनऊ पुत्र बल्हा प्रणमति की छोटी मूर्ति-+१७४६ में भ0 सुरेन्द्रकीति ने प्रतिष्ठा सं० जाल्हाथी।
प्रतिष्ठा कराई। [१८] चौवीसी पीतल की-० १५६५ वर्षे जेठ [२८] ० १५३५ मूलसंधे श्री म. भुवनकीर्ति पट्टे वदी ५ बुषे श्रीमूलसंधे भ. श्री ज्ञानभूषण श्री विजयकीर्ति भ० ज्ञानभूषण उपदेशात् । तद्गुरुभ्राता बांतिदासोपदेशात् तुरहानपुर वास्तव्यः [२६] शांति कंथ पर नाय की पीतल की मूर्तिसाह गुणराज सा० रागदेऊ सा० नागदे पं० पासु पुत्र
33 सं० १४०४ प्राषाढ़ वदी भौमे श्री मूलसंधे श्री देवेन्द्रनेमिदास भगिनी बाई चांदू सा० धनराज सा० पासू
कीति श्री पौरपादान्वये सा० सिण भार्या उदा पुत्र नैनसिंह नागसेठिया ... एते श्री भादिनाथं प्रणमति ।
भार्या सेणू पुत्र पीडः नित्यं प्रणमति । [१९] सं० १५१५ फागुन सुदी हरवी श्री मूलसंघे
[३०] सं० १५३७ वैसाख मुदी १० मूलसधे बारह भ० जिनचंद्रदेवास्तदाम्नाए गोलापूर्व नोरा......।
सेणी सं. वप्पऊ भार्या हीरा पुत्र सं० प्रमर छ भार्या बोल्हा [२०] सं० १३१६ जेठ बदी ५ सोमे गोलापूर्व गोत्र
पुत्र सं० राम भार्या जसो वैदिहरा पुत्र मनसुख । पं0 काल्हामाह भार्या गीडलनी पुत्र चौo चाकलिया सं० लोटा भार्या बालदे पुत्र गंगा पुत्री भान्ती नित्यं प्रणमति ।
यंत्र लेख [२१] सं० १५०० वर्षे फागुन सुदी ८ श्री मूलसंधे
(१) सं० १७१० माषसुदी ५ श्री मूलसंधे म. श्री बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे...' ।
नरेन्द्रकीर्तिस्तदाम्नाए भालपुरन खंडेलान्वये पाटणीगोत्र [ सं० १७११ अगहन वदी ११ शुक्र श्रीमूलरांधे सं० श्री नांदाकारगोत्रे थी साह शंभू दाम्यां प्रतिष्ठापित बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे म० धर्मकीर्ति, पमकीति, सा० गोधामुछप्रणमति । मकलकीर्ति उपदेशात् ठा० साहि प्रणमति ।
(२) सं०१५९६ जेठ सुदी ६ गुरौ मूलसंघे भ. श्री [२३] स० १५२२ वैसाखसुदी ६ रवी मूलसंधे ज्ञानभूषण पा० नेमिचंद प्रा. श्री अभयचंद भ. रत्नकीर्ति भ० देवेन्द्रकीति तत्छिष्य देवनंदि सा० भौरिणगु भार्या खेमा उपदेसात अयोध्यापूर्व सा० देल्हा भार्या हीरा पुत्र पं० देव. पुत्रदासु पुत्र सेमधरा पुत्र भुवनपति ।
दाए शिवदाए सामहणू मुता रत्नसिरी मा. थीमभयकीति [२४] सं० १५२४ चैत्र वदी १ शुक्र भ० श्री सिंह- शिष्य ब्र. माणिक चंद एने नित्यं प्रणमंति । कीति तदाम्नाए गोलापूर्वान्वये साह लजेड़ा भार्या- (३) सं० १६५८ मूलस घे भ० ललितकीर्ति उपदे. दौसिरि पुत्र पटवारी चदिनभ्राता साखमा पटवारी भादे सात गोलालारे मा० रुपन भा० रुक्मनी पुत्र सा. चतुर्भुज तस्य भार्या साध्वी दिउला पुत्र सा० नेनसी पुत्र कौग्सी भा० हीरा पुत्र भाउने हग्विंम मनोहर नित्यं प्रणमंति। सा. लाहा भार्या साध्वी धनसिरि प्रणमति।
(४) सं० १६७४ फा० मु० १० मूलसंघे बलात्कार[२५] सं० १६८७ वैसाख सुदी ६ मूलसंध भ० गणे सरस्वती गच्छे कुदकुदान्वये भ० ललितकीति भ. धर्मजगत्कीति सा० लखमी भार्या करमी पुत्र भीमसेनि भार्या कोति उपदेशात् पौरपट्ट अप्टसाखा एवं सा० चन्द्रपाल भा० प्रानमती सिंघई रामदास प्रतिष्ठा मध्ये प्रतिप्टितं नित्यं मती पुत्र ४, ज्येष्ठ पुत्र यम भा० प्रागरा पुत्र दुस्तर द्विप्रणमति ।
उरदु भा० जमुनी पाठसखा । [२६] मं० १४०१ वैसाख सुदी १५ थी काष्ठासंघे (५) सं० १७१४ वर्षे जगत्कीर्ति उपदेसात् पौरपट्टे भ० क्षेमकीति, हेमकीति तच्छिष्य मुनि पद्मकीर्ति देवा- राजान्वये पेछोरामूर गोयलगोत्रे सिं० कलेरा नित्यं देशेन सा० धामा पुत्र सा० दुह भार्या कल्हो प्रात्मकर्म प्रणमति । विनाशार्थ प्रणमति ।
(0) सं० १६९४ बैसाख सुदी ६ गुरी भ० ललित[२७] शांति-कथु-भर नाथ की खड्गासन पीतल कीति भ० धर्मकीर्ति उपदेसात् तस्य शिष्य पं० गुनदास

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