Book Title: Anekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 302
________________ अनेकान्त का छोटेलाल जैन विशेषांक असा संस्मरण १. श्रद्धाञ्जलियाँ २. संस्मरण जीवन-वृत्त १. जन्म और बचपन २. शिक्षा ३. वैवाहिक जीवन ४. व्यापार ५. धर्म-रुचि ६. माता-पिता का प्रभाव कृतित्व क. साहित्यिक १. जैन सन्दर्भ ग्रन्थ २. जैन मूर्तिलेख संग्रह ३. विविध पत्र-पत्रिकामों में प्रकाशित लेख ४. खण्डगिरि-उदयगिरि पर खोज ५. दक्षिण भारतीय शिला-लेख संग्रह (सम्पादन) ६. बाबू जी के द्वारा प्रोत्साहित ग्रन्थ और ग्रन्थकार स. सामाजिक ७. वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली ८. स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी ६. भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १०. वीर शासनसंघ, कलकत्ता ११. बाला विश्राम पारा दर्शन साहित्य और पुरातत्त्व क. दर्शन १. अनेकान्त का सैद्धान्तिक विश्लेषण २. आधुनिक विश्व में अनेकान्त का स्थान ३. जैन अहिंसा का सार्वभौमिक महत्व ४. अहिंसा के परिप्रेक्ष्य में महावीर और गान्धी ५. प्राधुनिक विज्ञान और जैनदर्शन ६. जनदर्शन का ऐतिहासिक मूल्याङ्कन ७. जैन और बौद्ध दर्शन ८. जैन तत्ववाद की पृष्ठभूमि ६. मानव जीवन मौर जैन मध्यात्मवाद १०. अणुव्रत और नैतिकता ११. जैनदर्शन में ज्ञान और भक्ति १२. जैन न्याय १३. जैन तत्त्वज्ञान में सर्वोदयी विचारधारा स. साहित्य १. प्राकृत भाषा और साहित्य २. प्राकृत भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन ३. प्राकृत भाषा में राम-काव्य ४. प्राकृत का हिन्दी पर प्रभाव ५. जैन संस्कृत के महाकाव्य ६. प्राकृत शब्दकोष ७. अपभ्रंश और हिन्दी का सम्बन्ध ८. अपम्रश के महाकाव्य ९. रासा काव्य १०. जैन अपभ्रंश का हिन्दी के सन्त काव्य पर प्रभाव ११. योगीन्दु और कबीर १२. भविसयत्तकहा और पदमावत का तुलनात्मक अध्ययन १३. अपभ्रंश का गीति-काव्य १४. जैन हिन्दी काव्य का साहित्यिक मूल्याङ्कन १५. मध्यकालीन जैन हिन्दी महाकाव्य १६. मध्यकालीन निर्गुण सम्प्रदाय और जैन पद काव्य की निष्कल-भक्ति १७. जैन परिप्रेक्ष्य में नाथ सम्प्रदाय १. भारतीय संस्कृति में जैन पुरानस्व का महत्व २. राजस्थान का जैन पुरातत्त्व ३. अजन्ता की गुफाओं का जैन पुगतात्त्विक मूल्याङ्कन ४. उदयगिरि-खण्डगिरि की गुफाएं ५. दक्षिण भारत का जैन पुरातत्त्व ६. श्रवणबेल्गोल ७. नैन मन्दिर और चैत्य ८. जैन मूर्तिकला ९. जैन मूर्ति लेख १०. पुरातात्त्विक दृष्टि से जैन देववाद ११. जैन पुगतत्त्व-साहित्य विशेष-उपर्युक्त स्तम्भों के अन्तर्गत किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है।

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