Book Title: Anekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 421
________________ विषय-सूची १ प्रारम-सम्बोधक-अध्यात्म-पद (कविता)-[कविवर साहित्य पुरस्कार और सरकार-[मन्यभक ३७५ दौलतराम ३६१ हमारी तीर्थयात्रा संस्मरण-[५० परमानन्द जैन २ मूलाचारकी कुन्दकुन्दके अन्य ग्रंथों माथ समता शास्त्री ३७७ [पं० हीरालाल सिद्धान्त शास्त्री ३६२ अत्यावश्यक वर्णी सन्देश-[शिम्वरचन्द जैन ३८१ ३ श्रमण बलिदान-श्री अलम्ब ४ धवलादि ग्रन्थोंके फोटो और हमारा कर्तव्य १० धवलादि मिहान ग्रन्थोंका उद्धार-[सम्पादक [ला० गजकृष्ण जन ३६१ विवेकाभ्युदय ३८३ ५ मूलाचारके कर्म-खुल्लक मिद्धिसागर ३७२ ११ साहित्य परिचय और ममालोचन ६ स्तरके नीचे कहानी -[मनुज्ञानार्थी माहिन्यरत्न ३७३ १० अनान्सका द्विवार्षिक हिसाब ३८७ (पृष्ट ३८६ का शेष ग्मक है उपका अधूरापन दूर हो जायगा । प्रबलकारण अभाव जान पड़ता है। इस मुनीम यह । ग्रन्थ-सूचीका कार्यश्रममाध्य है। जान पडता है कि जानना अत्यन्त कठिन है कि कान अन्य किम सम्प्रदायका है पादकजीने इसके निर्माणमें पर्याप्त श्रम किया है । महावीर इसका उल्लेग्य होना आवश्यक है। विविध ग्रंथभंडागेकी तीर्थक्षेत्रकमेटीका यह कार्य प्रशंमीय है। कमेटी को चाहिए मूचियोंपरस एक बृहत् ग्रंथ-सृञ्चीका निर्माण अत्यन्तयांछनीय कि वह इस उपयोगी कार्यमें और भी गति प्रदान कर है उसमें इन मूचियोस पर्याप्त सहायता मिल सकी। जिससे ग्रन्थ-सूचीका कार्य जल्दी सम्पन्न हो सके। खेदक इस सब कार्य लिये कमेटीक मन्त्री, संठ वर्धाचन्दजी माथ लिखना पडता है कि दिगर पर समाजकी पोरमे दिग- गंगवाल और सम्पादक महंन्य दोनों ही धन्यवादक पात्रह। म्बर ग्रंथोंकी एक वृहन्मूचीका निर्माण नहीं हो सका । इम्पका -परमानन्द जैन अनेकान्तके ग्राहकोंसे निवेदन अनेकान्तकी इस किरणके साथ पादकोंका मूल्य समाप्त हो जाता है । आगामी वर्षका मूल्य छः रुपया है । अतः प्रेमो ग्राहक महानुभावोंसे निवेदन है कि वे अनेकान्तका वार्षिक मूल्य छह रुपया मनीआर्डर भेजकर थनगृहीत करें, मनिआर्डरसे मूल्य भेजदेने से उन्हें आठ प्राना की बचत होगी, और अनेकान्ती प्रथम किरण भी समय पर मिल जावेगी । आशा है ग्राहक महानुभाव इस निवेदन पर ध्यान देंगे और कार्यालयको वी.पी.की मंझटोंसे बचायेंगे। मैनेजर-अनेकान्त, १ दरियागंज, देहली श्री महावीर जयन्तीके अवसर पर वीर सेवा-मन्दिरकी ओर । भारतके उपराष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन और गृहमन्त्री डा० कैलाशनाथ ... काटजू को स्वयंभू स्तोत्र ओर युक्त्यनुशासनादि ग्रंथ भेंट किये गये ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452