Book Title: Anekant 1948 11 12 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Jugalkishor Mukhtar View full book textPage 2
________________ विषय-सूची विषय पृष्ठ १. सिद्धसेन - स्मरण ४०६ ४१५ २. शासन- चतुस्त्रिंशिका ( मुनिमदनकीर्तिकृत ) - [पं० दरबारीलाल कोठिया ४१० ३. सिद्धसेन स्वयंभू स्तुति (प्रथमा द्वात्रिंशिका ) [सिद्धसेनाचार्य प्रणीत ४. सन्मतिसूत्र और सिद्धसेन - [ श्रीजुगल किशोर मुख्तार ५. धर्म और वर्तमान परिस्थितियाँ[पं० नेमिचन्द्र शास्त्री ६. ब्रह्मश्रुतसागरका समय और साहित्य [पं० परमानन्द जैन शास्त्री ४१७ ४६७ गत किरण नं० प्रकाशित सहायताके बाद अनेकान्तको जो सहायता प्राप्त हुई है वह निम्न प्रकार है और उसके लिये दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र हैं: ११) श्रीशिखरचन्द दीनानाथ जैन, गञ्जमुरार ( ग्वालियर) सिद्धचक्रविधानके उपलक्षमें, मार्फत श्रीवृजलाल जैन । १०) श्रीदिगम्बर जैन समाज बाराबङ्की, मार्फत कल्याणचन्दजी विशारद । Jain Education International ७) डा० पन्नालालजी जैन सम्भल, पुत्रविवाहोपलक्षमें, मार्फत विष्णुकान्तजी मुरादाबाद | २१) साहू रमेशचन्दजी नजीबाबाद, साहू मूल चन्दजीके स्वर्गवासपर निकाले दानमेंसे । १०) सेठ चम्पालालजी पाटनी मु० राजशाही, विवाहोपलक्षमें, मा० इन्द्रचन्दजी जैन । ५) बा० सुरेन्द्रनाथ नरेन्द्रनाथजी कलकत्ता, पुत्र विवाहोपलक्ष में । ५) ला० नारायणदास रूड़ामलजी शामियानेवाले सहारनपुर, ला० रूड़ामलजी के स्वर्गवासपर । ५) श्रीभागचन्द दयाचन्दजी जैन, गोंदिया सी० पी०, पुत्रविवाहोपलक्षमें । विषय ७. सुधार - सूचना - [ प्रकाशक ८. मानवजातिके पतनका मूलकारणसंस्कृतिका मिथ्यादर्शन ४७४ ग्राहकोंसे ज़रूरी निवेदन इस संयुक्त किरणके साथ अनेकान्तका जहाँ हवाँ वर्ष समाप्त होरहा है वहाँ सब ग्राहकोंका चन्दा भी समाप्त होरहा है। अगले वर्ष अनेकान्तका मुद्रण और प्रकाशन 'भारतीय ज्ञानपीठ' काशीके तत्त्वावधानमें बनारससे समयपर हुआ करेगा, उसकी प्रथम किरण एक विशेषाङ्कके रूपमें छपना शुरू होगई है और वह सभी ग्राहकोंको जिनका चन्दा नहीं आया है, अप्रेलके प्रायः प्रथम सप्ताहमें वी० पी० से भेजी जावेगी । अतः प्रेमी ग्राहकोंसे सानुरोध निवेदन है कि वे बनारससे वी० पी० आनेपर उसे अवश्य छुड़ाने की कृपा करें और विशेषाङ्कके महत्वपूर्ण लेखोंसे यथेष्ट लाभ उठावें । -प्रकाशक अनेकान्तको प्राप्त सहायता वीरसेवामन्दिरको प्राप्त सहायता पृष्ठ ४७५ [पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य ६. चम्पानगर - [ श्यामल किशोर झा १०. सम्पादकीय (१) — राष्ट्र-भाषापर जैनष्ट [ मुनि कान्तिसागर सम्पादकीय (२) अनेकान्तकी वर्ष समाप्ति और अगला वर्ष - [जुगल किशोर मुख्तार ४८७ ११. प्रकाशकीय वक्तव्य ४८३ [अयोध्याप्रसाद गोयलीय ४७७ ४८१ For Personal & Private Use Only ४८६ अनेकान्तकी गत व किरणमें प्रकाशित सहायता के बाद वीरसेवामन्दिरको जो सहायता प्राप्त हुई वह निम्न प्रकार है और उसके लिये दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र हैं:२०१ ) रावराजा सर सेठ हुकमचन्दजी नाईट, इन्दौर (पौत्र विवाहकी खुशी में निकाले हुए दानमेंसे) । २५) श्रीमती कस्तूरीबाई जैन ठोरा नीमतूरवाली इन्दौर, मार्फत श्रीदौलतराम जी 'मित्र' । २५) ला ० धूमीमल धर्मदासजी कागजी देहली और लाला मुंशीलालजी कागजी देहली (पुत्र-पुत्री के विवाहोपलक्ष में निकाले हुए दानमेंसे) । १०) लाला शिब्बामलजी जैन अम्बाला छावनी (सिद्धचक्रविधानके उपलक्ष में) मार्फत पंडित दरबारीलालजी कोठिया । १०) ला० नारायणदास रूढामलजी जैन शामियानेवाले, सहारनपुर (ला० रूड़ामलजी के स्वर्गवाससे पूर्व निकाले हुए दानमेंसे) । ७) ला० सुरेन्द्रकुमार प्रकाशचन्दजी जैन, सुलतानपुर जिo सहारनपुर ( विवाहोपलक्ष में ) । www.jainelibrary.orgPage Navigation
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