Book Title: Anekant 1948 11 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 1
________________ स न्म ति सि ह स 106 अनेकान्त कार्तिक, मार्गशीर्ष २००५ :: नवम्बर, दिसम्बर १९४८ वीरसेवामन्दिरका त्रयोदशवर्षीय महोत्सव आज मुझे यह प्रकट करते हुए बड़ा ही आनन्द होता है कि भारतके महान् सन्त और आध्यात्मिक नेता पूज्य श्री १०५ क्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी न्यायाचार्य वैशाख वदि १ ता० १४ अप्रैल १६४६ को अपने सङ्घ-सहित वीरसेवामन्दिर सरसावा (सहारनपुर) में पधार रहे हैं और वे यहाँ एक सप्ताह तक ठहरेंगे । इस स्वर्णावसरपर वैशाख वदी ५ व ६ ता० १७, १८ अप्रेल दिन रविवार तथा सोमवारको वीरसेवामन्दिरके त्रयोदशवर्षीय अधिवेशनका आयोजन किया गया है । अतः समाजके सब सज्जनोंसे सानुरोध निवेदन है कि वे इस अपूर्व समारोह के शुभावसर पर अपने परिवार तथा मित्रों सहित अवश्य पधारनेकी कृपा करें और वीरसेवामन्दिरके अनेक उल्लेखनीय महत्वके साहित्यिक एवं ऐतिहासिक कार्योंका साक्षात्परिचय प्राप्त करनेके साथ ही पूज्य वर्गीजीके प्रवचनोंसे यथेष्ट लाभ उठावें । इस महोत्सवको सफल बनानेके लिये स्वागत-समितिका निर्माण होचुका है और उसने सोत्साह अपना कार्य प्रारम्भ कर दिया है। सम्पादकमण्डल जुगलकिशोर मुख्तार मुनि कान्तिसागर दरबारीलाल न्यायाचार्य अयोध्याप्रसाद गोयलीय अधिष्ठाता वीरसेवामन्दिर सरसावा, ज़ि० सहारनपुर वर्ष ९ किरण ११-१२ संस्थापक-प्रवर्तक वीरसेवा मन्दिर, सरसावा 1090411 सञ्चालक-व्यवस्थापक भारतीय ज्ञानपीठ, काशी

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