Book Title: Anekant 1945 Book 07 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ किरण १-२] कूर्चकोंका मम्प्रदाय [12] श्रीविजयवैजयन्तीनिवापी दनवान् भगवन योहंद्र. [7] शृङ्गयाम मर्वजनमनोवादवचनकम्मा मपितृश्येस तत्राज्ञाप्ति । शिव-- [1.5] दाम मीनिमाजकः जियन वायुना मज़म्यानुष्ठाना [8] स्थनामध ()येनोपदिष्ट पनाशिकायाम् भारद्वाजइति [I] अपि च । पगोत्रमिकृहमना[14] उकम् [0] बहुभियमुधा दत्ता राजमिस्मगदिमि [9] पनिमुनेन मृगेशन कारितस्याईदायननम्य प्रतिवर्षयम्म यस्य यदा माष्टाहिक तदा फलम् [1] बदत्ता(त्ता) [10] महामहमताचस्पनेपनक्रियायनदशिष्टं मन्यमबपाहता त्ता) वाम् (वा) यो इंग्न वमु [11] भोजनायेति नदि) नि कुन्दविषये वमन्तबाट [1] धगम् परिवर्पपासामिा कुम्भीपाक म पाने [1] सम्बपरिहारसयुन मिडिरस्तु। 1] कुन्दकानाम वार्षिणाचार्यमतहम्ले आन्द्रयान्न (द्वितीय दानपत्र) [I] मिद्धम् ॥ मनि म्वाभिमहामेनमातृगणानुध्याना प्रमुखम मिपिकानाम मानन्यमगी [11] कथा दनवान 10] य एच न्यायती मिनिस [2] ब्राणाम् हारिनीपुत्राणाम् पनिकनस्वाभ्यापचिका नपुण्यफलभाम्भवति नाम् कदम्मा(वा)ना [11] यश्चनं गगळेपनाममोहरफहनिय निकृष्टनमा गतिमना 13] महाराज श्रीहरिव म्र्मा बहुभनक पुण्य गज्य मानि[] स्वतत्ता परद्रता पा या हर গিয় নিলঃৰামু वसुन्धगम पाट वर्ष[4] पकनिषु हिन प्राप्तो व्यासो जगयगमाविलम् [10] मायाणि नाक पश्यने नु म. [1] बहुभिर्चमुधा श्रुनजलनिधिः वि भुना गजभ[5] यावृद्धवादष्टय स्थित' स्वबलकुन्निशापानोच्छिन । [I] म्मतिभि गम्य यम्य पहा भृमिम्नम्य तस्य तदा . द्विप(प) फलिमिान [1] 10 मधाधर [1] बगज्यमंवामरे चनुन्य फाल्गुणशाल [IN] वर्धा वर्धमानाहरछाम्नं मयमामनम् वनाद्यापि जगत्रयोदश्णाम् उच्च-- [4] जावपापण नामजनम् [1] नमो ने वर्धमाना [a] कलकत्तामें श्रीवीर-शासन-महोत्सव ७-८ जुलाई को गनागरि-अधिवेशम न प्रनायक अनमार श्री- शामन-मादियमहमाब्दिमदात्मक आयोजना गजगिरिमे दी होनेको यो। किन्नु महामारीका भीपण प्रकार, नान्न अावश्यक वस्नुका अलपना और रेल तथा यातायातके अन्य माधनकी भार कमी श्रादका नान करम उन्मनका श्रा..। ३१ अक्रीवर नवाबर (कार्तिक मुदी पूणिमाम मार्गशीर्ष कृष्णा चतुर्थी) नक गवगना मरमंट हकमचन्द नाक मभापनि म नलकम किया जाना स्थिर हुश्रा है। इसके माय मा. दिगम्बर जैनतीर्थक्षत्र-मटीका अधिग्शन भी होगा । ममाजके विचारशल विद्वानों और प्रानान मजनास निवदन है कि बदम मदोन्मवर्क महन्न ।। श्रार प्रभावनाका गान कर उत्मवम अवश्य महयोग प्रदान का। विननाम प्रार्थना है कि व मदोन्मय के लिये स्मृानमन्धक जैन मम्माननिहाम, मनिष विज्ञान, वा श्राद ममी विषगर प्रभावशाली लेग्व भेजनकी कगाव अकबर के द्वितीय ममा 'बाबुछोटलाल जन. मंत्री म्वागतममिान, १७४ चिनरंजन एवेन्यू, पो.बड़ाबाजार, कलपना' के पनपर आजाने चाहिये। शान्तिप्रशाद जैन, म्बागताध्यान

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 528