Book Title: Anandghan ni Atmanubhuti 03 Author(s): Kalyanbodhivijay Publisher: Jinshasan Aradhana Trust View full book textPage 8
________________ जीय जाने मेरी सफल घरीरी. जीय जाने मेरी सफल घरीरी. सुत वनिता यौवन धन मातो, गर्भतणी वेदन विसरीरी...१ जीय जाने मेरी सफल घरी..... सुपन को राज साच करी माचत राहत छांह गगन बदरीरी, आई अचानक काल तोपची गहेगो ज्युं नाहर बकरीरी...२ जीय जाने मेरी सफल घरीरी... अहु चेत कछु चेतत नाहि. पकरी टेक हारिल लकरीरी: आनंदघन हीरो जन छांरत, नर मोह्यो माया ककरीरी....३ जीय जाने मेरी सफल घरीरी.... Jain Education Internatiori! जीय जाने मेरी सफल घरीरी, जीय जाने मेरी सफल घरीरी, सुत वनिता यौवन धन मातो, गर्भतणी वेदन विसरीरी... १ जीय जाने मेरी सफल घरीरी...Page Navigation
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