Book Title: Anand Pravachan Part 11
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 344
________________ मूर्ख और तियंच को समान मानो ३२३ बीरबल ने बहुत टालने की कोशिश की, लेकिन बादशाह न माना । अतः बीरबल ने कहा-"अच्छा, मैं उन्हें लेकर कल आऊंगा।" बीरबल ने घर आकर अपने पिताजी को बादशाह का आदेश सुनाया। कहा"कल आपको दरबार में चलना है। वहाँ आपको कुछ नहीं करना है । आप तो सिर्फ मेरे आसन पर बैठ जायें। बादशाह कुछ भी पूछे, आपको उसका जवाब बिलकुल नहीं देना है । फिर जो कुछ होगा, उसे मैं संभाल लूंगा।" दूसरे दिन बीरबल अपने पिता को अच्छे वस्त्र पहनाकर दरबार में ले आया। जिस आसन पर बीरबल स्वयं बैठता था, उस पर उन्हें बिठा दिया और स्वयं पास में खड़ा रहा। __ बादशाह बीरबल के पिता को देखकर पूछने लगा-“बूढे ! आज ही दरबार में आये हो ?" पिता चुप रहा, कुछ भी न बोला। "कितनी उम्र है तुम्हारी ?" फिर भी बीरबल का पिता चुप रहा। बादशाह-'ओ बूढ़े ! मैंने तुम्हें आज जीवन के अनुभव सुनने के लिए बुलाया था । पर तुम कैसे अजीब आदमी हो कि बिलकुल चुप हो गये हो।" फिर भी बीरबल का पिता मौन रहा । अन्त में बादशाह ने हैरान होकर बीरबल से पूछा- "अगर किसी मूर्ख से पाला पड़ जाये तो क्या करना चाहिए ?" तुरन्त बीरबल ने कहा-“जहाँपनाह ! चुप रहना चाहिए।" बादशाह ने मन ही मन समझ लिया कि मुझे बेवकूफ सिद्ध करने के लिए बीरबल ने अपने पिता को चुप रखा है । बादशाह स्वतः मूर्ख सिद्ध हो गया। इसी प्रकार मूर्ख के साथ कभी वास्ता पड़ जाये तो बुद्धिमान् सज्जन को मौन रखना ही श्रेयस्कर है। मूर्ख : हठाग्रही और जिद्दी कई मूर्ख हठाग्रही और जिद्दी होते हैं । वे इतने हठाग्रही होते हैं, जिस बात को एक बार पकड़ लेते हैं, दूसरे हितैषी लोग उन्हें चाहे जितना समझायें, वे छोड़ने को तैयार नहीं होते । मूर्ख की हठाग्रही और जिद्दी प्रकृति के कारण मूर्खता के चार चिह्न अहंकारवश उसमें व्यक्त होने लगते हैं—(१) वह अपने से बड़े या बलिष्ठ के साथ भिड़ जाता है, (२) जिसने कुछ भी काम नहीं किया, उस पर भरोसा कर लेता है, (३) नादानों के साथ अतिपरिचय करने लगता है, (४) स्त्रियों के छल-प्रपंच से गाफिल रहता है। एक रोचक उदाहरण मुझे याद आ रहा है एक राजा था। वह बड़ा अहंकारी और जिद्दी था । वह जिस बात को मन में विचार लेता, उसे किये बिना नहीं छोड़ता, चाहे वह बात सम्भव हो या असम्भव ! Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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