Book Title: Anand Pravachan Part 11
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 374
________________ उपयोगी प्रवचन साहित्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्री आनन्दऋषि जी महाराज जैन धर्म, दर्शन, इतिहास और संस्कृति के गम्भीर विवान तो हैं ही, साथ ही चिन्तनशील प्रवक्ता भी हैं। आपके विचार बहुत ही उदार, सुस्पष्ट तथा तथा व्यापक अध्ययन-मनन से परिपूर्ण है। अत: आपश्री के प्रवचनों में भी इस / सर्वा गीण व्यापकता की स्पष्ट छाप है। // १-आनन्द प्रवचन : [ भाग 1 से 7] इन सात भागों में जैन आचार, दर्शन व कर्मसिद्धान्त से सम्बन्धित विविध उपयोगी, मननीय प्रवचन हैं। २-आनन्द प्रवचन : [भाग 8 से 11 ] पांच भाग का मूल्य 75) [गाँतम कलक- प्रवचन : 108 प्रवचन इन पाँच भागों में जैन साहित्य के महान सूक्त-ग्रन्थ 'गौतम कुलक' की 20 गाथाओं पर 108 प्रवचन हैं। विविध विषयों की जीवन स्पर्शी, ज्ञानपूर्ण सामग्री से ओत-प्रोत इन प्रवचनों में जैसे ज्ञान और विज्ञान का, अनुभव और चिन्तन का खजाना-सा खुला मिलेगा, विज्ञपाठक इस ज्ञान-सागर में डुबकी लगाकर भरपूर लाभ उठा। सकता है। ३-भावनायोग : [ मूल्य 12)] जैन धर्म में भाव/भावना का अत्यन्त महत्व है। भावना के सर्वा गीण स्वरूप पर शास्त्रीय प्रमाणों के साथ जीवन-निर्माणकारी विवेचन : शोध प्रबन्ध-सा गम्भीर और प्रवचन सा रोचक। ४-आनन्द वाणी : आनन्द वचनामृत, आदि प्रवचन साहित्य भी पठनीय मननीय है। Serving JinShasan सम्पूर्ण साहित्य के लिए स II श्री रत्ल HINTIMय 2589, महात्मanmandir@kobatitha ग र (महाराष्ट्र) 020154 म रिमा आवरण पृष्ठ के मुद्रक : 'शैल प्रिन्टर्स' माईथान, आगरा-३ ww.arerary.org

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