Book Title: Amurtta Chintan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ २ अनुप्रेक्षा १. एकत्व अनुप्रेक्षा २. अनित्य अनुप्रेक्षा ३. अशरण अनुप्रेक्षा ४. संसार अनुप्रेक्षा । प्रेक्षा- ध्यान का दूसरा अंग है - अनुप्रेक्षा । अनुप्रेक्षा का अर्थ है- ध्यान में जो कुछ हमने देखा, उसके परिणामों पर विचार करना । 'अनु' का अर्थ है - बाद में होने वाला । ध्यान में जो देखा, प्रेक्षा में जो देखा, देखने के बाद उसकी प्रेक्षा करना, परिणामों पर विचार करना, यह है अनुप्रेक्षा । सचाइयों का ज्ञान करने के लिए प्रेक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण है, किन्तु आदतों को बदलने के लिए अनुप्रेक्षा जरूरी है। आधुनिक विज्ञान की भाषा में इसे 'सजेस्टोलॉजी' कहा जा सकता है । अनेक वैज्ञानिक इस पद्धति का प्रयोग करते हैं । चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग हो रहा है। 'सजेशन' दो प्रकार से दिया जा सकता है । स्वयं व्यक्ति स्वयं को सजेशन ( सुझाव ) देता है या अन्य व्यक्ति के सजेशन को स्वयं सुनता है। दोनों प्रकार प्रचलित हैं । इन सुझावों के द्वारा अकल्पित बातें घटित हो जाती हैं । अनुप्रेक्षा का प्रयोग सुझाव पद्धति का प्रयोग है। यह 'आटोसजेशन' - स्वयं का स्वयं के द्वारा सुझाव देने की पद्धति है । एक आदमी यदि प्रतिदिन सप्ताह तक सुझाव दे कि मैं बीमार हूं, तो निश्चित ही वह बीमार हो जाएगा। दूसरा व्यक्ति यदि यह सजेशन देता है कि मैं स्वस्थ हूं, मैं स्वस्थ हूं, तो वह स्वास्थ्य का अनुभव करने लग जाएगा । सुझाव की पद्धति को समझकर सुझाव दें, बार-बार सुझाव दें तो स्वस्थता बढ़ती चली जाएगी। अमूर्त चिन्तन अनुप्रेक्षा की पद्धति स्वभाव परिवर्तन की अचूक पद्धति है । इसके द्वारा जटिलतम आदत को बदला जा सकता है। आदत चाहे शराब पीने की हो, तम्बाकू सेवन की हो, चोरी की हो, झूठ और कपट की हो, बुरे आचरण और बुरे व्यवहार की हो, अनुप्रेक्षा पद्धति से उसमें परिवर्तन किया जा सकता है । Jain Education International अनुप्रेक्षा का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है असत् से बचने के लिए । जप का विकास इसी अनुप्रेक्षा के सिद्धांत के आधार पर हुआ है । इष्ट का जप करो, मंत्र का जप करो, क्योंकि शुभ भाव और शुभ विचार तुम्हारे मन में रहेगा तो अशुभ भाव को जागने का मौका नहीं मिलेगा । इसीलिए मंत्र का आलम्बन लिया गया। कुछ लोग अध्यात्म साधना के क्षेत्र में मंत्र की उपयोगिता नहीं मानते। पर हमारा विश्वास है कि मंत्र की भी बहुत बड़ी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 274