Book Title: Ahimsa ke Achut Pahlu Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 2
________________ अहिंसा और शान्ति – इन दोनों को विभक्त नहीं किया जा सकता। अहिंसा शान्ति है और शान्ति अहिंसा है। दोनों में तादात्म्य संबंध है। प्रस्तुत ग्रंथ में अहिंसा के शान्त्यात्मक पक्ष का भी स्पर्श किया गया है। आज का आदमी विश्व शान्ति की बात बहुत सोचता है पर इस सचाई को विस्मृत कर देता है कि मानसिक शान्ति के बिना विश्व शान्ति की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि हम मानसिक अशान्ति की समस्या का समाधान खोज लें तो वैश्विक अशान्ति की समस्या स्वतः सुलझ जाए। समस्या दो प्रकार की होती है - भौतिक और मानसिक। भौतिक समस्या का समाधान पदार्थ की संतुलित व्यवस्था के द्वारा ही हो सकता है। मानसिक समस्या का समाधान चेतना के स्तर पर ही संभव है। भौतिक समस्या का समाधान अध्यात्म में खोजना और मानसिक समस्या का समाधान पदार्थ में खोजना मानवीय चिन्तन की सबसे बड़ी भूल है और इस भूल को हम दोहराते चले जा रहे हैं। इसीलिए समस्या का सही समाधान नहीं हो रहा है। अणुव्रत मानसिक शान्ति का प्रयोग है। इसलिए वह अहिंसा का व्यावहारिक दर्शन है। प्रस्तुत ग्रंथ में उस व्यावहारिक दर्शन का एक अनुशीलन है। Jain Education Intemational www.jainelibrary.orgPage Navigation
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