Book Title: Agam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अनुजोगदा - (२) (२१) से किं तं कुप्पावणियं दव्यावस्सयं कुपावणियं दव्याबस्सयं-जे इमे घरगचीरिय-चम्मखंडिय-मिक्खोंड-पंडुरंग-गोयम-गोब्बइय-गिहिधम्म-धम्मचितग-अविरुद्ध-विरुद्धखुड्ढसावगप्पभिइओ पांसद्धत्या कालं पाउप्पमायाए रयणीए जाव जलते इंदस्स वा खंदस्स था सदस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स था जक्खस्स था मयस्स वा मुगुदस्स-या अआए या कोडकिरियाए वा उवलेवण-सम्माण-आयरिसणं-धूव-पुष्फ-गंध-मल्लाइयाई दव्यायस्सायाइं करेंति से तं कुप्पावयणियं दव्यावस्सय २०1-20 (२२) से किं तं लोगुत्तरियं दव्यावस्सयं, जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरणुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्टा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपाउरणा जिणाणं अणाणाए सच्छंदं विहरिऊणं उमओकालं आवस्सयस्स उवद्वंति से तं लोगुत्तरियं दयायस्सयं से तं जाणगसरीरमवियसरीर-चतिरतंदव्वावस्सयं से तं नोआगमओ दवावस्सयं से तंदवावस्सपं ।२१-21 (२३) से किंतं भावावस्सयं पावावस्सयं दुविहं प० आगमओय नोआगमओय।२२।-20 (३४) से किं तं आगमओ भावावस्सयं आगमओ भावावस्सयं-जाणए उवउत्ते से-तं आगमओभावावासयं ।२३।-23 (२५) से किं तं नोआगपओ भावावस्सयं नो आगपओ भावावस्सयं तिविहं पनत्तं तं जहालोइयं कुप्पावणियं लोगुत्तरियं ।२४।-24 (२६) से किंतं लोइयं भावावस्मयं लोइयं भावावस्सयं-पुवण्हे भारहं अवरहे रामायणं से तं लोइयं पावावस्सयं।२५1-25 (२७) से किं तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं कुप्पावयणियं भावावस्सयं-जे इमं घरगचीरिय जाव पासंडत्या इअंजलि-होम-जप-उदुरुक्क-नमोक्कारमाइयाई भाषावस्सयाई करेति से तं कुप्पावयणियं भावावस्सय।२६।-28 (२८) से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं लोगुतरियं भावावस्सयं-जण्णं इस समणे वा समणी वा साधए वा सावियावा तचित्तेतम्मणे ताप्लेसे तदझपसिए तत्तिबज्झवसाणे तदह्रोवउत्ते तदपियकरणे तब्भावणाभाविए अन्नत्य कत्यइ मणं अकोमाणे उमओ कालं आवस्सयं करेति से तंलोपतरिय भावावस्सयं से तं नोआगमओ पावावस्सयं से तंभावावस्सयं ॥२७1-27 (२१) तस्सणं इमे एगडिपा बाणाधोसा नाणावंजणा नामधेजा मयंति।२८-11-28-1 (३०) आवसिय अवस्सकरणिज्ज धुवनिमहो विसोहीय अज्झयणछक्कवग्गोनाओ आराहणा मग्गो । (19) समणेणसावएण य अवस्सकायव्वं हवाइजहा अंतो अहोनिसस्स उ तम्हा आवस्सयं नाम ३७19 (१२)से तंआवस्सयं२८1-28 (11) से किंतं सुयं सुयं चउन्विहं प० नामसुयंठवणासुर्य दव्वसुर्य मावसुयं ।२९1-29 (३४) से किं तं नामसुयं नामसुयं-जस्सणंजीवस्स वाअजीवस वा जीवाण वा अजीवाण वातदुभयस्स वा तदुभयाण वा सुए ति नाम कजइसे तं नामसुयंड।३०13 (३५) से किं तं ठवणासुयं ठवणासुयं-जगणं कठकम्मे वा (चित्तकम्मे वा पोत्यकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंधिमे वा वेदिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अखे वा वराडए था एगो वा अणेगा वा सम्भावठवणाए वा असब्मावठवणाए वा सुए ति] ठवणा ठविजइ से तं ठवणासुर्य नाम-इवणाणं ॥२11-2 For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74