Book Title: Agam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुष्ोगदाराई • (२९२) डहेजा नो वाऊ हरेला नो कुच्छेजा नो पलिविद्धंसेज नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेचा जे णं तस्स पलस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणप्फुत्रा वातओणं समए-सपए एगमेगंआगाप्तपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए पवइ से तं सुहमे खेत्तपलिओवमे तत्व णं चोयए पन्नवर्ग एवं वयासी-अत्यिणं तस्स पालस्स आगासपएसाजेणं वालग्गेहिं अणफुत्रा हंता अस्यि जहा को दिद्रुतो से जहानामए कोट्ठए सिपा कोहंडाणं भरिए तत्य णं माउलिंगा पक्खित्ता ते वि माया तत्य णं बिल्ला पक्खित्ता ते वि माया तत्य गं आमलगा पक्खिता से वि माया तत्य णं बयरा पक्खित्ता ते वि मा माया तत्थ णं चणगा पक्खिता ते वि माया तत्य णं मुग्णा पक्खित्ता ते विमाया तत्थ णं सरिसवा पक्खिता से विमाया तत्य णं गंगावालुया पक्खित्ता सा वि माया एवमेव एएणं दियुतेणं अस्यि गं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणप्फुन्ना 1१४०-२1-140-2 (२९६) एएसि पल्लाणं कोडाकोडी पवेश दसगुणिया तंसहमस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीपाणं ॥११४||-114 (२९७) एएहि सुहमखेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं एएहिं सुहमखेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं दिष्टियाए दव्या मयिअंति।१४०। (२९८) कइविहाणं मंते दव्या पन्नत्ता गोयमा दुविहा पनत्ता तंजहा-जीवदव्या य अजीवदब्बा य अजीवदब्बा० दुविहा अरूविअजीवदव्या य रूविअजीवदव्वा य अरूबिअजीबदव्वा० दसविहा धम्मत्यिकाए धम्मत्यिकायस्स देसा धम्पस्थिकायस्स पएसा अधम्पत्यिकाए अधम्मत्यिकायस्स देसा अधम्मत्यिकायस्स पएसा आगासत्यिकाए आगासस्थिकायस्स देसा आगासत्यिकायस्स पएसा अद्धासपए, रूविअजीवदव्या चउबिहा खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला ते णं मते कि संखेज्जा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेना नो असंखेता अनंता से केणडेणं०. अनंता दुपएसिया खंधा जाव अनंता अनंतपएसिया खंधा से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुद्याइते णं नो संखेज्जा नो असंखेजा अनंता, जीवदव्वा णं मंते किं संखेशा असंखेशा अनंता गोयमा नो संखेना नो असंखेज्जा अनंता से केणद्वेणं० गोयमा असंखेज्जा नेरइया असंखेज्जा असुरकुमारा जाव असंखेमा यणियकुमारा असंखेना पुढविकाइया असंखेना आउकाइया असंखेना तेउकाइया असंखेना वाउकाइया अनंता वणस्सइकाइया अंसखेखा बेइंदिया असंखेजा तेइंदिया असंखेना चउरिदिया अंसखेशा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया असंखेजा मणुस्सा असंखेज्ञा वाणमंतरा असंखेना जोइसिया असंखेज्जा येमाणिया अनंता सिद्धा से तेणष्टेणं गोयमा एवं युच्चइजीवदव्याणं नो संखेजा नो असंखेजाअनंता १४१3-141 (२९२) कइ णं मंते सरीरा पन्नत्ता गोयमा पंच सरीरा पत्रता तं जहा-ओरालिए वेउचिए आहारए तेयए कम्मए नेरइयाणं० तओ सरीरा वेउब्बिए तेयए कम्मए असुरकुमाराणं० तओ सरीरा वेउच्चिए तेए कम्मए एवं तिण्णि-तिण्णि एवं चेव सरीरा जाव यणियकुमाराणं माणियव्या पुढविकाइयाणं० तओ सरीरा ओरालिए तेयए कम्मए एवं आउ-तेउ-वणस्सइकाइयाणं वि एए चेव तिणि सरीरा माणियव्वा वाउकाइयाणं० चत्तारि सरीरा औरोलिए वेउब्बिए तेयए कम्पए इंदिय तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा वाउकाइयाणं मणुस्साणं० पंच सरीरा ओरालिए वेउब्बिए आहारए तेयए कप्पए वाणमंतराणं जोइसियाणं For Private And Personal Use Only

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