Book Title: Agam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ अनु ओगदारा - ( १३५ ) जणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेचं कालं नाणादच्वाइं पहुच नत्थि अंतरं नेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्बाई सेसदव्वाणं कइ भागे होजा- पुच्छा जहेव खेत्ताणुपुब्बीए भावो वि तहेव अप्पाबहुं पि तहेव नेयव्वं से तं अनुगमे से तं नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुच्ची 1999/-111 (१३६ ) से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी, पंचविहा पत्रत्ता० अट्ठपयपरूवणया भंग मुक्त्तिणया भंगोवंदसणया समोयारे अनुगमे । ११२/- 112 (१३७ ) से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया, एयाइं पंच वि दाराई जहा खेत्ताणुपुवीए संगहस्स तहा कालाणुपुब्बीए वि भाणियव्वाणि नवरं-ठिती अभिलावो जाव से तं अनुगमे से तं संगहस्स अगोवणिहिया कालाणुपुब्बी से तं अणोवणिहिया कालाणुपुब्वी ।११३ । - 113 (१३८) से किं तं ओवणिहिया कालाणुपुच्ची ओवणिहिया कालाणुपुव्वी तिविहा पत्रत्ता तं जहा- पुव्वाणुपुच्ची पच्छाणुपुथ्वी अणाणुपुवी से किं तं पुष्याणुपुब्बी पुव्वाणुपुथ्वी- समए आवलिया आणापाणू धोवेलवे मुहुत्ते अहोरते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे बाससए बाससहस्से वाससयसहस्से पुव्यंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अड्डे अववंगे अवचे हुहुयंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउउ धूलियंगे चूलिया सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरिय तीतद्धा अणागतद्धा से तं पुव्वाणुपुव्वी से किं तं पच्छाणुपुव्वी, सव्वद्धा जाय समए से तं पच्छाणुपुब्बी से किं तं अणाणुपुवी अणाणु- पुब्बी-एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए अनंतगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णमासो दुरूवूणो से तं अणाणुपुबी अहवा ओणिहिया कालाणुपुवी तिचिहा पत्रत्ता तं जहा- पुव्वाणुपुब्बी पच्छाणुपुबी अणाणुपुवी से किं तं पुव्वाणुपुच्ची पुव्वाणुपुब्बी- एगसमयईिए दुसमयट्ठईए तिसमयडिईए जाब दससमयदिईए संखेज्जसमयट्ठिईए असंखेज्जसमयईिए से तं पुव्वाणुपुब्बी से किं तं पच्छाणुपुबी पच्छाणुपुबीअसंखेजसमयईिए जाव एगसमयट्टिईए से तं पच्छाणुपुच्ची से किं तं अणाणुपुवी अणाणुपुवीएयाए चेव एगाइयाए जाव दुरूवूणो से तं अणाणुपुबी से तं ओवणिहिया कालाणुपुवी से तं कालाणुपुच्ची |११४/- 114 (१३९) से किं तं उकिकत्तणाणुपुव्वी उक्कित्तणाणुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता तं जहापुव्वाणुपुवी पच्छागुपुची अणाणुपुब्वी से किं तं पुव्वाणुपुब्वी पुव्याणुपुवी उसमे अजिए संभवे अभिनंदणे सुमती पउमप्यभे सुपासे चंदप्पहे सुविही सीतले सेजूंसे वासुपुचे विमले अनंते धम्मे संती कुंथू अरे मल्ली मुणिसुव्वए नमी अरिट्ठनेमी पासे वद्धमाणे से तं पुव्याणुपुबी से किं तं पच्छाणुपुवी पच्छाणुपुवी बद्धमाणे जाव उसमे से तं पच्छाणुपुब्बी से किं तं अणाणुपुब्बी अणाणुपुबी - एयाए चैव एगाइयाए एगुत्तरियाए चरबीसगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णासो दुखवूणोसे तं अणाणुपुथ्वी से तं उकिकत्तणाणुपुब्बी ।११५/- 116 (१४०) से किं तं गणणाणुपुची गणणाणुपुवी तिविहा पत्ता तं जहा- पुव्वाणुपुवी पच्छाणुपुब्वी अणाणुपुबी से किं तं पुव्वाणुपुब्बी पुव्वाणुपुवी- एगो दस सयं सहस्सं दससहस्साई सयसहस्सं दससयसहस्साइं कोडी दसकोडीओ कोडिसयं दसकोडिसयाई से तं पुव्वाणुपुवी से किं तं पच्छापुच्ची पच्छाणुपुच्वी दसकोडिसयाई जाव एगो से तं पच्छाणुपुब्दी से किं तं अणाणुपुच्ची अणाणुपुबी - एयाए चैव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसकोडिसयगच्छ्गयाए सेढीए अण्ण For Private And Personal Use Only

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