Book Title: Agam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
III-4
अनुमोगदाराई - (re) (४८) सुय सुत्त गंय सिद्धत सासणे आण वयण उवएसे
पनवण आगमे य एगहा पनवा सुते (५७)सेतं सुयं ।।३।-43 (१०) से किं तं खंघे खंघे चउबिहे प० नामखंधे ठवणाखंधे दव्यखंधे भावखंधे44
(५१) से किं तं नामखंघे नामखंघे-जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण पा अजीवाण तदुभयस्स वा तदुभवाण का खंघे ति नाम कज्जइ से तं नामखंघे से किं तं ठवणाखंधे ठवणाखंधे जणं कडकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्यकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंपिमे वा वेदिमे या पूरिमे या संघाइमे वाअक्के वा वराडए वा एगो वा अणे या सब्मावठणाए वा असमावठयणाए वा खंघे ति ठवणा ठविआइ से तं ठवणाखंये नाम-हवणाणं को पइविसेतो नापं आयकहियं ठवणा इत्तरिया पा होजा आवकहिया वा।।५/45
(५२) से कितं दव्यखंधे दव्यखंधे दुविहे पत्रत्ते तं जहा-आगमओ य नोआगमओय से कि तं आगमओ दव्यखंधे आगमओ दव्वखंधे-जस्स णं बंधे ति पदं सिक्खियं सेसं जहा दव्यायस्सए तहा पाणियव्वं नवां खंधामिलाओ जाव से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दरखंधे जाणगसरीर-पविय-सरीर-चतिरित्तेदव्यखंघेतिविहे पत्तेतंजहा-सचित्तेअचित्तेमीसए।४६/-48
(५३) से किं तं सचित्ते दव्यखंधे सचित्ते दवखंधे अणेगविहे पन्नत्ते तं जहा-हयखंधे गयखंधे कित्राखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे से तं सचित्ते दव्यखंघे ४७-47
(५४) से किंतं अचित्ते दबखंधे अचित्तेदव्यखंघे अणेगविहे पन्नत्तेतंजहा-दुपएसिएखंधे तिपएसिए खंधे जाप दसपएसिए खंघे संखेजपएसिए खंथे असंखेजपएसिए खंघे अनंतपएसिए खंघे से तं अचित्ते दव्वखंधे।४149
(५५) से किं तं मीसए दव्वखंधे मीप्सए दवखंधे अणेगधिहे पत्रत्ते तं महा-सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए पनिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे से तंमीप्तए दव्वखंधे।।९।-49
(५६) अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वत्तिरित्ते दव्वखंधै तिविहे पत्रत्ते तं जहाकसिणखंधे अकसिणखंघे अणेगदवियखंधे ।५०।-50
(५७) से किं तं कसिणखंधे कसिणखंधे से चेव हयखंधे गयखंधे [किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे] उसमखंधेसे तं कसिणखंधे।५१/-61
(५८) से किंतं अकसिणखंधे अकसिणखंधे-से चेव दुपएसिए खंधे [तिपएसिए खंधे जाव पसपएसिए खंधे संखेजपएसिए बंधे असंखेजपएसिए खंधे] अनंतपएसिए खंधे से तं अकसिणखंधे १५२१-62
(५१) से किं तं अणेगदवियखंधे, तस्सेव देसे अवचिए तस्सेव देसे उवचिए से तं अणेगदवियखंधे से तं जाणगसरीर-मविपसरीर-यत्तिरिते पव्वखंधे से तंदव्यखंघे।५३१-63
(१०) से किंतंभावखंधे भावखंचे दुविहे पत्ते आगमओय नोआगमओय।५४-64 (११)से किंतं आगमओ मावखंये, जाणए उपउत्ते से तं आगमओ मावखंये।५५/65
(१२) से किं तं नोआगमओ भावखंधे नोआगओ मावखंधे-एएर्सि चेव सामाइय-पाइयाण छहं अन्झयणाणंसमुदय-समिति-समागमेणं निप्फण्णे आवस्सयसुपखंधे भावखंधेति लमइ से तंनोआगमओ पावखंधे सेतंभावखंघे।१६।-58
(१३) तस्स इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामघेजा भयंति - ५७-११
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74