Book Title: Agam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -११६ समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं नाणादव्याई पडुछ नत्यि अंतरं एवं दोणि वि नेगम-धवनाराणं आणुपुच्चिदव्याइं सेसदव्वाणं कइ मागे होझा तिष्णि वि जहा दव्वाणुपुबीए नेगम-यवहाराणं आणुपुविदव्वाई कयरम्मि मावे होजा नियमा साइपारिणामिए भावे झोडा एवं दोण्णि वि एएसिणं नेगम-बबहाराणं आणुपुग्विदव्याणं अणाणुपुब्विदव्वाणं अवत्तव्यगदव्वाण यादवट्टयाए पएसहयाए दव्य-पएसष्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा सव्वत्योवाई नेगम-चवहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं दव्यद्वयाए अणाणुपुब्बिदव्वाइं दव्यत्र्याए विसेसाहियाई आणुपुव्विदव्याई पेसट्टयाए असंखेनगुणाईदव्य-पएसध्याए-सव्वत्योवाईनेगम-यवहाराणंअवतब्बगदव्वाइंदव्यद्वयाए अणाणूपुव्विदव्वाइंदव्यदृयाए अपएसडयाए विसेसाहि-याई अवत्तबगदव्वाइंपएसट्टयाएविसेसाहियाई आणुपुब्बिदब्वाइंदबट्ठयाए असंखेनगुणाई ताई वेव पएसद्रयाएअसंखेजगणाईसेतंअनगमेसेतंनेगम-ववहाराणअणोवणिहियाखेत्ताणपव्यी|१०-101 (११७) से किं तं संगहस्स अनोवणिहिया खेत्ताणुपुयी पंचविहा, अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्कित्तणया मंगोवदंसणया समोतारे अनुगमे से किं तं संगइस्स अट्ठपयरूवणया तिपएसोगाढेआणुपुदी धउप्पएसोगाढेआनुपुब्बी जाव दसपएसोगाढे आणुपुब्बी संखिअपएसोगाढेआणुपुव्वी असंखिजपएसोगाटेआणुपुदी एगपएसोगाढे अणाणुपुब्बी दुपएसोगाढेअवतव्वए से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया एपाए णं संगहस्स अट्ठपयपरवणयाए किं पओअणं एयाए णं संगहस्स अड्डपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कति से किं तं संगहस्स मंगसमुक्कित्तणया अत्यि आणुपुब्बी अस्थि अगाणुपुब्बी य अणाणुपुदी य एवं जहा दव्याणुपुबीए संगहस्स तहा भाणिपव्वं जाव से तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया एआए णं संगहस्स मंगसमुक्कित्तणयाए किं पओअणं एआए णं संगास्स भंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्स मंगोबदसणया कजति से किं तं संगहस्स मंगोवदंसणया तिपएसोगादेआणुपुब्बी एगपएसोगादेअणाणुपुब्बी दुपएसोगाढेअवत्तव्यए अहवा तिपएसोगाढे पएगपएसोगाढे पआणुपुवी प अणाणुपुब्बी पएवं जहा दव्वाणुपुब्बीए संगस्स तहा खेत्ताणुपुबीए वि माणिअव्यंजाव से तं संगहस्स भंगोवदंतणया से किं तं समोआरे संगहस्स आणुपुन्दिदव्वाइं कहि समोतरंति-किं आणुपुग्विदव्येहि समोतरंतिअणाणुपुविदव्येहिं अवत्तव्यगदव्वेहि तिणिविसहाणे समोतरति सेतंसमोआरे से किंतं अनुगमे अवविहे पन्नत्ते1१०२-१)-102-1 (614) संतपयपरूवणयाजाव अप्पाबहुंनत्यि ॥११॥-11 (११) संगहस्स आणुपुब्बिदव्याई किं अस्थि नयिनिअमा अत्यिनत्यि निअमा अस्थि एवं तिष्णि वि सेसदारगाई जहा दव्याणुपुबीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुवीए वि माणिअब्वाईजाव से तंअनुगमेसेतंसंगहस्सअणोवणिहियाखेत्ताणुपुब्बीसेतंअणोवणिहियाखेत्ताणुपुब्बी|१०|-1022 (१२०) से किं तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी ओवणिहिया खेताणुपुयी तिविहा, पुव्याणब्दी अहोलोए तिरियलोए उदलोए से तं पुवाणुपुब्बी से किंत पच्छाणुपुची उढलोए तिरियलोए अहोलोए से तं पच्छाणुपुब्बी से किं तं अणाणुपुव्वी एयाए चैवएगाइयाए एगुत्तरियाए तिगच्छगयाए सेटीए अण्णमण्णव्यासो दुरूवणो से तं अणाणुपुवी अहोलोयनेत्ताणुपुब्बी तिविहा, पुव्याणुपुव्वी पच्छाणुपुब्बी अगाणुपुल्ची से किं तं पुव्वाणुपुव्वी रयणप्पपा सकरप्पमा बालुयप्पपा पंकप्पमा धूमप्पमा तमा तमतमा से तं पुव्वाणुपुव्वी से किं तं पच्छाणुपुब्दी तमतमा For Private And Personal Use Only

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