Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Jaykirtisuri
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text
________________
३९१
इ
४६,
६२४
श्रीउत्तराध्ययनदीपिकाटीका-२ आ आमलककल्पा [ पुरी]
६१ ऋषभ [जिन] १५५, २०१, ५१५ आर्यरक्षित [ पुरोहितपुत्र-श्रमण]
ऋषभ [शाश्वतजिनप्रतिमा] १३१ आर्यराद्धा [आचार्य] ३१, ३२ ऋषभपुर[नगर]
३४, ६१ आषाढ [ आचार्य]
५१,६२ आषाढ [ मास]
एलगपुर [ नयर] आहतशत्रु [ राजन्]
कटकदत्त [ नृप]
२०० इक्कटदास [ आख्या ]
१२० कण्डरीक [ महापद्मपुत्र १५२, १५३ इन्द्रदत्त [ राट्-पुरोधस्
-राजपुत्र]
५०६ उपाध्याय]
५८, ११९ कनकतेजस् [ नगतिभ्रातृ] २७४ इन्द्रधनु[खेचरेन्द्र]
कनकमाला [ राजसुता]
२७४ इन्द्रपुर नगर]
५८, २०० कनकसुन्दरी [ जितशत्रुपुत्री] २७३ इन्द्रभूति [ वीरशिष्य]
३४८ | कपिल [ पुरोहितपुत्र-मुनि] ११९, १२० इन्द्रयशा [ ब्रह्मप्रिया ]
१९६ | कमलावती [ महादेवी] २१२, २१३, इन्द्रवसु [ब्रह्मप्रिया]
२२३, २२७ इन्द्रश्री [ ब्रह्मप्रिया] १९६ | कमलावती [ राज्ञी ]
१३१ इषुकार [ पुर-नृप] २१२, २१३, २२७ | करकण्डु[ राट्-प्रत्येकबुद्ध] १२९,
२६९, २७०, २७१, २७५, २७६ उग्र [कुल] २१३ करेणुदत्त [ नृप]
२०० उग्रसेन [ राजन्] ३३५, ३४०, ३४४ करेणुदत्ता [ राज्ञी]
१९८ उज्जयन्त [ गिरि]
करेणुपतिका [ राज्ञी]
१९८ उज्जयिनी [ नगरी]
२५ कलिङ्ग[ देश] उत्तरकुरु [ क्षेत्र-शिबिका] १७५, ३३९ काञ्चनपुर [ नगर]
२७० उत्तरा [ शिवस्वसृ]
कात्यायन [ गोत्र]
१९७ उत्तरापथ [ देश]
२७३ काम्पिल्य | [ नगर-पिता] ५६, ६२, १५१, उदायन [ राट्] २७६, २७८, २७९, काम्पील्य | १९८, २००, २०१, २५१, २८०, २८१, २८२
२५२, २६७ उमा [ हरिपत्नी] २६८ कार्तिक [ मास]
३९१, ३९२ उलूक [गोत्र] ६३ काल [ नृप]
२६५ उल्लक [ देश]
कालवैशिक [ राजकुमार-मुनि] ४४ उल्लका [ नदी] ६२ कालिक [आचार्य]
४७, ४८ | कालिञ्जर[ अद्रि] १९५, २०२
१९६
२६९
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370