Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Jaykirtisuri
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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श्रीउत्तराध्ययनदीपिकाटीका-२ सीता [ नदी] १७५, १७६ / सोपारक [पुर]
७२, ७३ सीमन्धर [ जिन]
सोमदेव [ऋषि-पुरोहित] सुग्रीव [ नगर] २८५ सोमा [सुता]
१९८ सुदर्शन [ राजन्-श्रेष्ठिन् ] ३९, २६४/ सौर्यपुर [ नगर]
३३५ सुदर्शनपुर [ नगर] १३३ सौवीर [जनपद]
२७६ सुदर्शना [ वीरस्वसा]
स्कन्दक [ राजकुमार-सूरि] ४०, ४१ सुधर्म [ स्वामिन्]
२३६ स्कन्दश्री [अर्जुनभार्या] सुनन्द [ वणिक्]
४५ स्थूलभद्र [ मन्त्रिपुत्र-मुनि] ३४, ४९, ५० सुप्रतिष्ठित [ नगर] २०० स्वयम्भूरमण [ समुद्र]
१५३ सुभद्रा [ राज्ञी]
२८२ सुभूमिभाग[उद्यान] १५१ | हरि [ ]
२६८ सुमित्रविजय [यवराट] २६१ हरिकेश [ श्वपाक-मुनि]
१७८ सुराष्ट्रा [ देश] ७२ | हरिकेशा [ राज्ञी]
१९८ सुरेन्द्रदत्त [राजपुत्र] ५८/ हरिवंश [ वंश]
२७१ सुवर्णगुलिका [ दासी] २८० हरिषेण [ चक्रिन्]
२६७ सुव्रत [ तीर्थकर-आचार्य] ४०, २६४, २६६ | हरिषेण [हरि]
१३१ सुव्रता [ चक्रिप्रिया-साध्वी] १३१, १३२, | हल्ल[ श्रेणिकसुत ] १३३ हस्तिनागपुर [ नगर]
२०१, २०९ सूरराज [ नृप]
२६४ हस्तिभूति [ सुत] सूरोदय [पुर]
२६५/ हस्तिमित्र [ गृहपति] सेचनक [इभ]
हासा [ व्यन्तरी] २७६, २७७, २७८ सेवाल [ तापस] १५१, १५२, १५३ | हिम [ अद्रि] सोधर्म [ देवलोक] ६२, २०२, २१३
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