Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम्-१ मूलगाथानामकाराद्यनुक्रमः जह परिणयंबगरसो ३४-१३ जह बूरस्स वि फासो ३४-१९ जह सुरहिकुसुमगंधो ३४-१७ जहा अग्गिसिहा दित्ता १९-३९ जहा इमं इहं सीयं १९-४८ जहा इहं अगणी उण्हो १९-४७ जहा उ पावयं कम्मं ३०-१ जहा करेणुपरिकिण्णे ११-१८ जहा कागिणीए हेउं७-११ जहा किंपागफलाणं १९-१७ जहा कुसग्गे उदयं ७-२३ जहा गेहे पलित्तंमि १९-२२ जहा चंदं गहाईया २५-१७ जहा तुलाए तोलेउं १९-४१ जहा दवग्गी पउरिंधणे वणे ३२-११ जहा दुक्खं भरेउं जे १९-४० जहा पोमं जले जायं २५-२६ जहा बिरालावसहस्स मूले ३२-१३ जहा भुयाहि तरिउं १९-४२ जहा महातलागस्स ३०-५ जहा मिए एगे अणेगचारी १९-८३ जहा य अंडप्पभवा बलागा ३२-६ जहा य अग्गी अरणी असंतो १४-१८ जहा य किंपागफला मणोरमा ३२-२० जहा य तिन्नि वणिया ७-१४ जहा य भोई तणुयं भुयंगो १४-३४ जहा लाहो तहा लोहो ८-१७ जहा वयं धम्ममयाणमाणा १४-२० जहा संखंमि पयं ११-१५ जहा सा दुमाण पवरा ११-२७ जहा सा नईण पवरा ११-२८ जहा सागडिओ जाणं ५-१४ जहा सुणी पूड़कन्नी १-४ जहा से उडुवई चंदे ११-२५
जहा से कंबोआणं ११-१६ जहा से तिक्थसिंगे ११-१९ जहा से तिक्खदाढे ११-२० जहा से तिमिरविद्धंसे ११-२४ जहा से नगाण पवरे ११-२९ जहा से वासुदेवे ११-२१ जहा से सयंभूरमणे ११-३० जहा से सहस्सक्खे ११-२३ जहा से सामाइयाणं ११-२६ जहाइन्नसमारूढे सूरे ११-१७ जहादेसं समुद्दिस्स ७-१ जहित्ता पुव्वसंजोगं २५-२८ जहित्तुं संगं थ महाकिलेसं २१-११ जहेह सीहो व मियं गहाय १३-२२ जं किंचि आहार-पाणं १५-१२ जं च मे पुच्छसी काले १८-३२ जं नेइ जया रत्तिं २६-१९ जं मे बुद्धाणुसासंति १-२७ जं विवित्तमणाइन्नं १६-१ जा उ अस्साविणी नावा २३-७१ जा किण्हाइ ठिई खलु ३४-४९ जा चेव उ आउठिई ३६-१६७ जा चेव य आउठिई ३६-२४५ जा जा वच्चइ रयणी १४-२४ जा जा वच्चइ रयणी १४-२५ जा तेऊइ ठिई खलु ३४-५४ जा नीलाइ ठिई खलु ३४-५० जा पम्हाइ ठिई खलु ३४-५५ जा साऽणसणा मरणे ३०-१२ जाई सरित्तु भयवं ९-२ जाई-जरा-मच्चु-भयाभिभूया १४-४ जाईपराजिओ खलु १३-१ जाईमयपडिथद्धा १२-५ जाईसरणे समुप्पन्ने १९-८
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