Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text
________________
८९७
परिशिष्टम्-१ मूलगाथानामकाराद्यनुक्रम मुहुत्तद्धं तु जहन्ना ३४-३७ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना ३४-३९ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना ३४-४६ मोक्खमग्गगइंतच्चं २८-१ मोणं चरिस्सामि समिच्च धम्म १५-१ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-३१ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-४४ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-५७ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-७० मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-८३ मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य ३२-९६ मोहणिज्जं पि दुविहं ३३-८ रणो तहिं कोसलियस्स धूया १२-२० रति पिचउरो भाए २६-१७ स्मए पंडिए सासं १-३७ रसंतो कंदुकुंभीसु १९-५१ रसओ अंबिले जे उ ३६-३२ रसओ कडुए जे उ ३६-३० रसओ कसाए जे उ ३६-३१ रसओ तित्तए जे उ ३६-२९ रसओ परिणया जे उ ३६-१८ रसओ महुरे जे उ ३६-३३ रसस्स जिहा गहणं वयंति ३२-६२ रसस्स जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं ३२-६३ रसा पगामं न निसेवियव्वा ३२-१० रसाणुयासाणुगए य जीवे ३२-६६ रसाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३२-७१ रसाणुवाएण परिग्गहेण ३२-६७ रसे अतित्ते य परिग्गहंमि ३२-६८ रसे विरत्तो मणुओ विसोगो ३२-७३ रहनेमि अहं भद्दे ! २२-३७ राइयं च अइयारं २६-४७ राईमई विचिंतेई २२-२९ राग-दोसा य दो पावे ३१-३
राग-द्दोसादओ तिव्वा २३-४३ रागं च दोसं च तहेव मोहं ३२-९ रागो दोसो मोहो अन्नाणं २८-२० रागो य दोसो वि य कम्मबीयं ३२-७ रागोवरयं चरिज्ज लाढे १५-२ राया सह देवीए १४-५३ रूवस्स चक्खं गहणं वयंति ३२-२३ रूवाणुगासाणुगए य जीवे ३२-२७ रूवाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३२-३२ रूवाणुवाएण परिग्गहेण ३२-२८ रूविणो चेवरूवी य ३६-४ रूवे अतित्ते य परिग्गहमि ३२-२९ रूवे विरत्तो मणुओ ३२-३४ रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं ३२-२४ लभ्रूण वि आयरियत्तणं १०-१७ लभ्रूण वि उत्तमं सुई १०-१९ लक्ष्ण वि माणुसत्तणं १०-१६ लया य इइ का वुत्ता २३-४७ लाभालाभे सुहे दुक्खे १९-९० लेसज्झयणं पवक्खामि ३४-१ लेसासु छसुकाएसु ३१-८ लेसाहिं सव्वाहिं चरमे ३४-५९ लेसाहिं सव्वाहिं पढमे ३४-५८ लोएगदेसे ते सव्वे ३६-६७ लोएगदेसे ते सव्वे ३६-१७३ लोएगदेसे ते सव्वे ३६-१८२ लोएगदेसे ते सव्वे ३६-१८९ लोगस्स एगदेसंमि ३६-१५८ लोगस्स एगदेसंमि ३६-२१७ लोभविजएणं भंते ! २९-७० सू. लोहिणीहू य थीहू य ३६-९८ वएसु इंदियत्थेसु ३१-७ वज्जरिसहसंघयणो २२-६ वणस्सइकायमइगओ १०-९
___Jain Education international 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516