Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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३।१४
परिशिष्टम्
[२]
मूलगाथागतोपमा-दृष्टान्ताः उपमाः अ० गा० | उपमाः
अ० गा० गलियस्सेव कसं १।१२| वसहे जूहाहिवइ
११।१९ कसं व दगुमाइण्णे १।१२ | सीहे मिगाण पवरे
११।२० गलियस्सं व वाहए ११३७ अप्पडिहयबले जोहे
११।२१ भूयाणं जगई जहा
११४५ जहा से चाउरते चक्कवट्टी महिड्डिए ११।२२ कालीपव्वंगसंकासे
२।३
जहा से सहस्सक्खे वज्जपाणी पुरंदरे ११।२३ नागो संगामसीसे वा
२।१०
जहा से तिमिरविद्धंसे उत्तिटुंते दिवायरे ११।२४ पंकभूया उ इथिओ २।१७ | जहा से उडुवई चंदे
११।२५ घयसित व्व पावए
३।१२
जहा से सामाइआणं कोट्ठागारे ११।२६ महासुक्का व दिप्पंता
जहा सा दुमाण पवरा दीवप्पणढे व
४५ जंबू नाम सुदंसणा
११।२८ भारंडपक्खी व
४६
जहा से नगाण पवरे सुमहं मंदरे गिरी ११।२९ आसे जहा सिक्खियवम्मधारी
जहा से सयंभूरमणे
११।३० दुहओ मलं संचिणई
समुद्दगंभीरसमा
११।३१ सिसुनागो व्व मट्टियं
५।१०
अगणिं व पक्खंद पयंगसेणा १२।२७ धुत्ते वा कलिणा जिए
५११६
जहेव सिहो व मियं गहाय १३।२२ पक्खी पत्तं समादाय
६।१६ नागो जहा पंकजलावसन्नो
१३.३० कुसग्गमित्ता
७।२४
जहा य अग्गी अरणी असंतो १४।१८ बज्झई मच्छिया व खेलमि
८.५ खीरे घयं
१४।१८ तरंति अतरं वणिया वा
८६
पंखाविहूणो व जहेह पक्खी १४।३० निज्जाइ उदयं व थलाओ
| भिच्चाविहीणु व्व रणे नरिंदो १४॥३० आसीविसोवमा
९५३ अबले जह भारवाहए
विवन्नसारो वणिउ व्व पोए १४।३०
१०.३३ आसे जवेण पवरे
जुन्नो व हंसो पडिसुत्तगामी ११।१६
१४।३३ जहाइन्नसमारूढे
११।१७ | जहा य भोई तणुयं भुयंगो, कुंजरे सट्ठिहायणे
११।१८||
निम्मोइणि हिच्च पलेइ मुत्तो १४।३४
८1९
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