Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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९०४
छिंदित्तु जालं अबलं व रोहिया, मच्छा जहा कामगुणे पहाय नहेव कुंचा समइक्कमंता,
तयाणि जालाणि दलित्तु हंसा पक्खिणि पंजरे वा
गिद्धोवमे य नच्चा उरगो सुवण्मपासि व्व नागु व्व बंधणं छित्ता
अप्पणो वसहिं वए विसं तालउड जहा अमयं व पूइओ विज्जुसंपायचंचलं उम्मत्तो व्व महिं चरे विसफलोवमा
बुब्बु
जहा किंपाकफलाणं
परिणामो न सुंदरो
गुरुओ लोहारु व्व बाहिहिं सागरो
वालुयाकवले व
असिधारागमणं चेव
अही वेगंतदिट्ठीए
जवा लोहमया चेव
जहा अग्गिसिहा दित्ता जह दुक्खं भरे जे होइ वायरस कोत्थलो
जहा तुलाए तोलेउं दुक्करं मंदरो गिरि जहा भुयाहिं तरिडं दुक्करं रयणायरो महादवग्गिसंकासे
रोज्झो वा जह पाडिओ
महिसो विव
मिओ वा अवसो
मच्छो वा अवसो सउणो विव
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हिंदुमो विव १४।३५ | कुमारेहिं अयं पिव महानागु व्व कंचुअं १४ | ३६ | रेणुयं व पडे लग्गं १४।४१ वासी - चंदणकप्पो १४।४७ सत्थं जहा परमतिक्खं १४।४७ इंदासणिसमा
पोल्ल व मुट्ठी जह से असारे
१४।४८ अयंतिए कूडकहावणे वा १६।१३ राढामणी वेरुलियप्पगासे १७।२१ | विसं तु पीयं जह कालकूडं १८ | १३ | सत्थं जह कुग्गहीयं १८।५२ | वेयाल इव १९।११ | अग्गी विवा
१९ | १३ | कुररी विवा विहग इव
१९।१७ | देवो दागुंदगो जहा १९ । ३५ सीहो व सद्देण न संतसिज्जा १९।३६ |संगामसीसे इव नागराया १९।३७ | मेरु व्व
१९।३७ | सूरिए वंतलिक्खे
१९।३८ | समुहं व १९।३८ | विज्जुसोयामणिप्पहा १९।३९ | सिरे चूडामणी जहा भमरसन्निभे
१९।४०
मा कुले गंधणा होमो १९।४१ | वायाइद्धु व्व हढो १९।४२ अंकुसेण जहा नागो
१९५० चंदसूरसमप्पहा १९५६ जहा चंदं गहाईया १९१५७ भासच्छन्ना इवग्गिणो १९।६३ अग्गी वा महिओ जहा
१९।६४ जहा पोमं जले जायं १९।६५
उत्तरज्झयणाणि - २
१९६६
१९।६७
१९।८६
१९।८७
१९।९२
२०१२०
२०/२१
२०१४२
२०१४२
२०४२
२०४४
२०४४
२०४४
२०४७
२०१५०
२०१६०
२१७
२१ ।१४
२१।१७
२१ ।१९
२१।२३
२१।२४
२२/७
नोवलिप्प वारिणा
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२२।१०
२२।३०
२२।४३
२२।४४
२२।४६
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