Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 471
________________ .९५ परिशिष्टम्-१ मूलगाथानामकाराद्यनुक्रमः पोरिसीए चउब्भाए २६-४५ पोल्लेव मुट्ठी जह से असारे २०-४२ फासओ उण्हए जे उ ३६-३९ फासओ कक्खडे जे उ ३६-३४ फासओ गरुए जे उ ३६-३६ फासओ निद्धए जे उ ३६-४० फासओ परिणया जे उ ३६-१९ फासओ मउए जे उ ३६-३५ फासओ लहुए जे उ ३६-३७ फासओ लुक्खए जे उ३६-४१ फासओ सीयए जे उ ३६-३८ फासस्स कायं गहणं वयंति ३२-७५ फासस्स जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं ३२-७६ फासाणुगासाणुगए य जीवे ३२-७९ फासाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३२-८४ फासाणुवाएण परिग्गहेण ३२-८० फासिदिए वि एवं २९-६६ सू. फासुयंमि अणाबाहे ३५-७ फासे अतित्ते य परिग्गहमि ३२-८१ फासे विरत्तो मणुओ विसोगो ३२-८६ बला संडासतुंडेहिं १९-५८ बहिया उडमादाय ६-१४ बहुंखु मुणिणो भई ९-१६ बहुआगमविन्नाणा ३६-२६२ बहुमाई पमुहरी १७-११ बहुयाणि उ वासाणि १९-९५ बंभंमि नायज्झयणेसु ३१-१४ बाायरा जे उपज्जत्ता ३६-७१ बायरा जे उपज्जत्ता ३६-८५ बायरा जे उ पज्जत्ता ३६-९३ बारसंगविऊ बुद्धे २३-७ बारसहिं जोयणेहिं ३६-५७ बारसेव उवासाई ३६-२५१ बालमरणाणि बहुसो ३६-२६१ बालस्स पस्स बालत्तं ७-२८ बालाण य अकामं तु ५-३ बालाभिरामेसु दुहावहेसु १३-१७ बालेहिं मूढेहिं अयाणएहिं १२-३१ बावत्तरी कलाओ य २१-६ बावीस सहस्साई ३६-८० बावीस सागराई ३६-२३३ बावीससागरा उ ३६-१६५ बुद्धस्स निसम्म भासियं १०-३७ बुद्धे परिनिव्वुडे चरे १०-३६ बेइंदियकायमइगओ १०-१० बेइंदिया उजे जीवा ३६-१२७ भणंता अकरेंता य ६-१० भत्तपच्चक्खाणेणं २९-४० सू. भयणीओ मे महाराय २०-२७ भवतण्हा लया वत्ता २३-४८ भाणू य इइ के वुत्ते २३-७७ भायरो मे महाराय २०-२६ भारिया मे महाराय २०-२८ भावसच्चेणं भंते ! २९-५० सू. भावस्स जो गिद्धिवुवेइ तिव्वं ३२-८९ भावस्स मणं गहणं वयंति ३२-८८ भावाणुगासाणुगए य जीवे ३२-९२ भावाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३२-९७ भावाणुवाएण परिग्गहेण ३२-९३ भावे अतित्ते य परिग्गहमि ३२-९४ भावे विरत्तो मणुओ विसोगो ३२-९९ भिक्खालसिए एगे २७-१० भिक्खियव्वं न केयव्वं ३५-१५ भीया य सा तहिं दर्दू २२-३५ भु-उरगपरिसप्पा ३६-१८१ भुत्ता रसा भोइ जहाइ णे वओ १४-३२ भुंज माणुस्सए भोए १९-४३ भूयत्थेणाहिगया २८-१७ _Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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