Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kamalsanyamvijay, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 462
________________ ८८६ चउप्पया य परिसप्पा ३६-१७९ चउरंगं दुल्लहं मच्चा ३ - २० चउरंगिणीए सेणाए २२-१२ चउरिंदियकायम गओ १०-१२ चउरिंदिया उ जे जीवा ३६ - १४६ चड्डलए य दुवे ३६-५४ चवीस सागराई ३६-२३५ चडवीसत्थएणं भंते ! २९-९ सू. चउव्विहे वि आहारे १९-३० चक्कवट्टी महिड्डीओ १३ -४ चक्खिदियनिग्गहेणं २९-६३ सू. चक्खुमचक्खुओहिस्स ३३-६ चक्खुसा पडिलेहित्ता २४-१४ चक्खुस्स रूवं गहणं वयंति ३२-२२ चत्तपुत्तकलत्तस्स ९-१५ चत्तारि परमंगाणि ३-१ चत्तारिय गिहिलिङ्गे ३६-५२ चम् उ लोमपक्खीया ३६-१८८ चरतं विरयं लूहं २-६ चरणविहिं पवक्खामि ३१-१ चरित्तमायारगुणन्निए तओ २०-५२ चरित्तमोहणं कम्मं ३३-१० चरित्तसंपन्नयाए णं भंते ! २९-६१ सू. चरे पयाइं परिसंकमाणो ४-७ चंदण - गेरुय-हंसगब्भ ३६-७६ चंदा सूरा य नक्खत्ता ३६-२०८ चंपाए पालिए नामं २१-१ चाउज्जामो य जो धम्मो २३-१२ चाउज्जामो य जो धम्मो २३-२३ चिच्चा ण धणं च भारियं १०-२९ चिच्चा दुपयं चउप्पयं च १३-२४ चिच्चा रट्टं पव्वईओ १८-२० चित्तमंतमचित्तं वा २५-२४ चित्तो वि कामेहि विरत्तकामो १३-३५ Jain Education International 2010_02 उत्तरज्झयणाणि - २ चिरं पिसे मुंडई भवित्ता २०-४१ चीराजिणं णिगिणिणं ५-२१ चीवराइं विसारंती २२ - ३४ छज्जीवकाए असमारभंता १२-४१ छत्तेव य मासा उ ३६- १५१ छव्वीस सागराई ३६-२३७ छंद निरोहेण उवेइ मुक्खं ४-८ छंदणा दव्वजाएणं २६-६ छिन्नं सरं भोममंतलिक्खं १५-७ छिन्नाले छिंदई सिल्लि २७-७ छिन्नावासु पंथेसु २-५ छिंदित्तु जालं अबलं व रोहिया १४-३५ छुहा तहा य सीउन्हं १९-३१ जड़ तं सि भोए चइउं १३ - ३२ जड़ तं काहिसि भवं २२-४४ जइ मज्झ कारणा एए २२-१९ जड़ सिरूवेण वेसमणो २२-४१ जड़त्ता विउले जन्ने ९-३८ जक्खो तहिं तिंदुयरुक्खवासी १२-८ जगनिस्सिएहिं भूएहिं ८ - १० जण सद्धि हुक्खामि ५-७ जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं १९-१५ जया मियस्स आयंको १९-७८ जयाय से सही होइ १९-८० जया सव्वं परिच्चज्ज १८-१२ जरा - मरणकंतारे ९९-४६ जरा-मरणवेगेणं २३-६८ जल - धन्ननिस्सिया जीवा ३५-११ जस्सत्थि मच्चुणा सक्खं १४-२७ जह कडुयतुंबगरसो ३४ - १० जह करगयस्स फासो ३४-१८ जह गोमडस्स गंधो ३४-१६ जह तरुण अंबयरसो ३४-१२ जह तिगडुयस्स य रसो ३४-११ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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