Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi

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Page 12
________________ ૭૨ ७४ ७. 104 ७६ एषणासमिति विशे वसुदेवना जीव नंदिवर्धननुं उदाहरण ८२६-४७ आदाननिक्षेपणासमिति अने तेना विशे उदाहरण ८४८.५३ पारिष्ठापनिकासमिति अने तेना विशे धर्मरुचिर्नु उदाहरण गुरुनी आशातनानुं स्वरूप ८६१-७१ गुरु अने शिष्यनां वचनो ८६९-७१ गुरुना विनयना भंगर्नु स्वरूप ८७२-७७ प्रकारान्तरे विनयभंगना सात प्रकारो इच्छाधकरणनी व्याख्या ८७९-८१ लघुस्वमृषापादनु स्वरूप ८८२-९०५ प्रतिकमणप्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानसूचक अविधि कास ज़म्भा क्षुत धात असंक्लिष्टकर्म कन्दर्प हास्य धिकथा कषाय विषयानुषंग स्खलना सहसा अनाभोग आभोग स्नेह भय शोक बाकुशिक आदि पदोनी व्याख्या ९०६-३२ सूत्र गाथा १३-१५ आलोचना अने प्रतिक्रमण ए बन्ने प्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानो संभ्रम भय आपत् अनात्मवशता दुश्चिन्तित आदि पदोनी व्याख्या सूत्र गाथा १६-१७ विवेक प्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानो पिंड उपधि शय्या कृतयोगी कालातीत अध्यातीत शठ अशठ उगत अनुगत कारणगृहीत आदि पदोनी व्याख्या ९५५ ७१ सूत्रगाथा १८-२२ व्युत्सर्ग प्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानो ७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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