Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi

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Page 10
________________ GEEKAN आयोगद्वार ३८१-८६ अन्यद्वार ३८७-८८ अनापृच्छाद्वार ३८९-९१ परीक्षाद्वार ३९२-४०७ आलोचनाद्वार ४०८-२३ स्थान-बसतिद्वा ४२४-३२ निर्यापकद्वार द्रव्यदापनाद्वार ४३८-४७ हानिद्वार ४४८-५० अपरितान्तद्वार ४५१-५२ निर्जराद्वार ४५३-५७ संस्तारकहार ४५८-६० उद्वर्तनाद्वार स्मारणाद्वार ४६४-७५ कवचधार ४७६-९० चिह्नकरणद्वार ४९१-९२ यतनाद्वार ४९३-१७ निर्व्याघात अने सव्याघात एवी अपराक्रमभक्तपरिज्ञानुं स्वरूप ४९८-५११ इंगिनीमरण ५१२-१५ पादपोपगमन ५१६-५९ श्रुतव्यवहार आज्ञाव्यवहार ५६५-६५४ अपरिणत, अतिपरिणत अने परिणत . शिष्यानी परीक्षा अथवा तेमनु स्वरूप ५६५-८८ दर्पना दश प्रकार ५८९-९९ कल्पना चोवीश भेद ६००-१६ दर्प कल्प आदि पदोना भांगाओ ६१७-५४ धारणाव्यवहार ६५५-७४ c WW०० % A WWWM Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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