Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi

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Page 11
________________ ५९ जीतव्यवहार ६७५-९४ सावध अने असावध जीतव्यवहार ६८७-९४ व्यवहारना स्वरूपनो उपसंहार ६९५-७०५ सूत्र गाथा २-३ प्रायश्चित्तनुं माहात्म्य ७०६-१७ सूत्र गाथा ४ प्रायश्चित्तना दश भेदो आलोचना ७१८ प्रतिक्रमण ७१९ मिश्र-आलोचना अने प्रतिक्रमण बन्ने ७२०-२१ विवेक ૭૨૨ व्युत्सर्ग ७२३ तप छेद ७२५ मूल ७२६ अनवस्थाप्य ७२७-२८ पासंचिक ७२९-३० सूत्र गाथा ५-८ आलोचनाप्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानो ७३१-८३ 'छद्म 'नो अर्थ ७३५ सूत्र गाथा ९-१२ प्रतिक्रमणप्रायश्चित्तने योग्य अपराधस्थानो गुमिओन स्वरूप ७८४-८६ मनोगुप्ति विशे जिनदासन उदाहरण ७८७-९० वचनगुप्ति विशे कोई साधुनुं उदाहरण ७९१-९६ कायगुप्ति विशे कोई साधुनुं उदाहरण ७९७-९९ कायगुप्ति विशे बीजं उदाहरण ८००-३ समितिओनुं स्वरूप ८०४-१७ ईर्यासमिति विशे अहम्नकन उदाहरण ८१८-१९ भाषासमिति विशे कोई साधुनुं उदाहरण ८२०-२५ 0000000000 Mmmmmmmmmmm ૭રક ३ 4 Lor Go ७० ७० ७१ ७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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