Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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लिखित प्रतिओनो परिचय । वार मो० ले० प्रतिओमां पण वधारे पडता पाठो आवे एम पण बन्यु छे । आ पाठोमांना जे पाठो अमने उपयोगी जणाया तेने अमे मूळमां आप्या छे, जुओ पृ०.२४४ पं० ३०, पृ० २४५ पं० ११, पृ० २६१ पं० २३, पृ० २९४ पं० १, पृ० २९८ पं० २६, पृ० ३१३ पं० ४ इत्यादिमां » आवा चिह्नना वचमांना पाठो; अने जे पाठो अमने क्षेपक जणाया छे ते पाठोने मूळमां स्थान न आपतां टिप्पणमां ज आपवामां आव्या छ । कोई कोई वार एम पण बन्युं छे के अमुक वधारानो पाठ अमुक एक ज प्रतिमा होय तेम छतां ते उपयोगी जणाता एक प्रतिना पाठने अमे मूळमां दाखल करेल छे पण ए दरेके दरेक ठेकाणे अमे टिप्पणमां जणाव्यु छे के आ पाठ अमुक प्रतिमांनो छे।
जे पाठो अमने अमारी (गुरु-शिष्यनी) विचारणाने अंते तद्दन अशुद्ध के निरर्थक जणाया छे तेने अमे कोई कोई वार जाणवा खातर टिप्पणमा आप्या छे तेम छतां मोटे भागे तेवा पाठान्तरोने अमे टिप्पणमां य स्थान आप्यु नथी । जे पाठान्तरो प्रतोमां अशुद्ध होय तेम छतां तेने सुधारीने ठीक करी शकाय तेम होय तो ते पाठोने अमारी कल्पनावडे सुधारेल पाठ साथे टिप्पणमां आपेल छे । अमारा सुधारेल ए पाठोने अमे आवा ( ) गोळ अने [ ] चोरस कोष्ठकमां मूकेला छे । जुओ पृ० १७ टि० १, पृ० ३१ टि० ६, पृ० ३८ टि० २, पृ० ८१ टि० २, पृ० १९३ टि० ६, पृ० २३१ टि० ३, पृ० २३२ टि० ३, पृ० २३४ टि० १, पृ० २४० टि० २ इत्यादि ।
वधारानी प्रतो। उपर जणावेल छ प्रतो सिवाय मूलसूत्र, भाष्य, बृहद्भाष्य, चूर्णि अने विशेषचूर्णीनी जे प्रतोनो अमे आ संशोधनमा उपयोग कर्यो छे तेनो परिचय अहीं आपीए छीए
१ बृहत्कल्पसूत्र पत्र १-१३ अने बृहत्कल्पलघुभाष्य पत्र १-२१६ । आ बन्ने य ग्रन्थो एक ज पोथीमां छे । आ पोथी ताडपत्रीय छे । दरेक पानानी एक बाजुनी पुठीमां ३ थी ५ लीटीओ छे अने दरेक आखी लीटीमां १०८ थी १४१ सुधी अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई ३४ इंच अने पहोळाई २ इंचनी छ । प्रतिना अंतमा लेखकनी पुष्पिका आदि कांइ नथी । प्रति सारी स्थितिमा छे अने संपूर्ण छ । पुस्तकनी लिपि सामान्य रीते सुंदर छे पण अक्षरो नाना मोटा बहु ज थया करे छ । प्रति अशुद्धप्राय छे।
२ बृहत्कल्पचूर्णी पत्र १-३८४ अने बृहत्कल्पसूत्र पत्र ३८५ थी ३९३ । आ बन्ने य ग्रन्थो एक ज पोथीमा छे । आ पोथी पण ताडपत्र उपर लखायेल छे । दरेक पानानी एक वाजुनी पुठीमां ५ थी ७ लीटीओ छे अने दरेक लीटीमा १२३ थी १४८ अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाइ ३३। इंचनी अने पहोळाई २। इंचनी छ । प्रतिना अंतमां आ प्रमाणे लेखकनी पुष्पिका छे
"संवत् १२९१ वर्षे पोष सुदि ४ सोमे" प्रति सारी स्थितिमा छे अने संपूर्ण छ । प्रतिनी लिपि घणी ज सुंदर छ । ३६२ मा
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