Book Title: Agam 30 2 Chandravejjhaya Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 9
________________ आगम सूत्र ३०/२, पयन्नासूत्र-७/२, ‘चन्द्रवेध्यक' सूत्र - ५३ शिष्य के गुण की कीर्ति का मैंने संक्षेप में वर्णन किया है, अब विनय के निग्रह गुण बताऊंगा, वो तुम सावध चित्तवाले बनकर सुनो। सूत्र - ५४ विनय मोक्ष का दरवाजा है । विनय को कभी ठुकराना नहीं चाहिए क्योंकि अल्प श्रुत का अभ्यासी पुरुष भी विनय द्वारा सर्व कर्म को खपाते हैं। सूत्र - ५५ जो पुरुष विनय द्वारा अविनय को, शील सदाचार द्वारा निःशीलत्व को और अपाप-धर्म द्वारा पाप को जीत लेता है, वो तीनों लोक को जीत लेता है। सूत्र-५६ पुरुष मुनि श्रुतज्ञान में निपुण हो-हेतु, कारण और विधि को जाननेवाला हो, फिर भी अविनीत और गौरव युक्त हो तो श्रुतधर-गीतार्थ पुरुष उनकी प्रशंसा नहीं करते । सूत्र - ५७, ५८ बहुश्रुत पुरुष भी गुणहीन, विनयहीन और चारित्र योग में शिथिल बना हो तो गीतार्थ पुरुष उसे अल्पश्रुत वाला मानता है । जो तप, नियम और शील से युक्त हो-ज्ञान, दर्शन और चारित्रयोग में सदा उद्यत हो वो अल्प श्रुतवाला हो तो भी ज्ञानी पुरुष उसे बहुश्रुत का स्थान देते हैं। सूत्र-५९ सम्यक्त्व में ज्ञान समाया हुआ है, चारित्र में ज्ञान और दर्शन दोनों सामिल हैं, क्षमा के बल द्वारा तप और विनय द्वारा विशिष्ट तरह के नियम सफल-स्वाधीन बनते हैं। सूत्र-६० मोक्षफल देनेवाला विनय जिसमें नहीं है, उसके विशिष्ट तरह के तप, विशिष्ट कोटि के नियम और दूसरे भी कईं गुण निष्फल-निरर्थक बनते हैं। सूत्र - ६१ अनन्तज्ञानी श्री जिनेश्वर भगवंत ने सर्व कर्मभूमि में मोक्षमार्ग की प्ररूपणा करते हुए सर्व प्रथम विनय का ही उपदेश दिया है। सूत्र- ६२ जो विनय है वही ज्ञान है । जो ज्ञान है, वो ही विनय है । क्योंकि विनय से ज्ञान मिलता है और ज्ञान द्वारा विनय का स्वरूप जान सकते हैं। सूत्र-६३ मानव के पूरे चारित्र का सार विनय में प्रतिष्ठित है इसलिए विनयहीन मुनि की प्रशंसा निर्ग्रन्थ महर्षि नहीं करते। सूत्र-६४ बहश्रुत होने के बावजूद भी जो अविनीत और अल्प श्रद्धा-संवेगवाला है वो चारित्र का आराधन नहीं कर सकता और चारित्र-भ्रष्ट जीव संसार में घूमता रहता है। सूत्र-६५ जो मुनि थोड़े से भी श्रुतज्ञान से संतुष्ट चित्तवाला बनकर विनय करने में तत्पर रहता है और पाँच महाव्रत मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(चंद्रवेध्यक)” आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 9

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