Book Title: Agam 28 Tandulvaicharik Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 9
________________ आगम सूत्र २८, पयन्नासूत्र-५, 'तन्दुलवैचारिक' सूत्र सूत्र-४३ हे आयुष्मान् ! इस प्रकार उत्पन्न होनेवाले जीव की क्रम से दश अवस्थाएं बताई गई है । वो इस प्रकार हैसूत्र-४४ बाला, क्रीडा, मंदा, बला, प्रज्ञा, हायनी, प्रपंचा, प्रग्भारा, मुन्मुखी और शायनी जीवनकाल की यह दस अवस्था बताई गई है। सूत्र-४५ जन्म होते ही वह जीव प्रथम अवस्था को प्राप्त होता है। उसमें अज्ञानता वश वह सुख-दुःख और भूख को नहीं जानता। सूत्र-४६ दूसरी अवस्थामें वह विविध क्रीड़ा करता है, उसकी कामभोगमें तीव्र मति नहीं होती। सूत्र - ४७ तीसरी अवस्थामें वह पाँच तरीके के भोग भुगतने को निश्चे समर्थ होता है । सूत्र-४८ चौथी बला नाम की अवस्थामें मानव किसी परेशानी न हो तो भी अपना बल प्रदर्शन करने में समर्थ होता है। सूत्र - ४९ पाँचवी अवस्था में वो धन की फीक के लिए समर्थ होता है और परिवार पाता है। सूत्र-५० छठी 'हायनी' अवस्था में वो इन्द्रिय में शिथिलता आने से कामभोग प्रति विरक्त होता है। सूत्र - ५१ सातवी प्रपंच दशा में वो स्निग्ध और कफ पाड़ता हुआ खाँसता रहता है । सूत्र - ५२ संकुचित हुई पेट की त्वचावाली आठवी अवस्था में वो स्त्रियों को अप्रिय होता है और वृद्धावस्था में बदलता है। सूत्र-५३ मुन्मुख दशामें शरीर बुढ़ापे से क्षीण होता है और कामवासना से रहित होता है । सूत्र - ५४ दसवीं दशा में उसकी वाणी क्षीण हो जाती है, स्वर बदल जाता है । वो दीन, विपरीत बुद्धि, भ्रान्तचित्त, दुर्बल और दुःखद अवस्था पाता है। सूत्र - ५५ दश साल की आयु दैहिक विकास की, बीस साल की उम्र विद्या प्राप्ति की, तीस तक विषय सुख और चालीस साल तक की उम्र विशिष्ट ज्ञान की होती है। सूत्र-५६ पचास को आँख की दृष्टि कमजोर होती है, साठ में बाहुबल कम होता है, अशी की उम्र में आत्म चेतना कमजोर होती है। मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (तंदुलवैचारिक) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद Page 9

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