Book Title: Agam 28 Tandulvaicharik Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र २८, पयन्नासूत्र-५, 'तन्दुलवैचारिक'
सूत्रहोते हो? उनका स्वभाव तो बताओ। सूत्र - १२८
दाँत किसी काम के नहीं; लम्बे बाल नफरत के लायक हैं । चमड़ी भी बिभत्स है अब बताओ कि तुम किसमें राग रखते हो? सूत्र-१२९
कफ, पित्त, मूत्र, विष्ठा, वसा, दाँढ़ आदि किसका राग है ? सूत्र - १३०
जंघा की हड्डी पर सांथल है, उस पर कटिभाग है, कटि के ऊपर पृष्ठ हिस्सा है । पृष्ठ हिस्सेमें १८ हड्डियाँ है सूत्र - १३१
दो आँख की हड्डी और सोलह गरदन की हड्डी है । पीठ में बारह पसली है । सूत्र-१३२
शिरा और स्नायु से बँधे कठिन हड्डियों का यह ढाँचा, माँस और चमड़े में लिपटा हुआ है । सूत्र - १३३
___ यह शरीर विष्ठा का घर है, ऐसे मलगृह में कौन राग करेगा ? जैसे विष्ठा ने कुए की नजदीक कौए फिरते हैं। उसमें कृमि द्वारा सुल-सुल शब्द हुआ करते हैं और स्रोत से बदबू नीकलती है । (मृत शरीर के भी यही हालात
सूत्र - १३४
मृत शरीर के नेत्र को पंछी चोंच से खुदते हैं । लत्ता की तरह हाथ फैल जाते हैं । आंत बाहर नीकाल लेते हैं और खोपरी भयानक दिखती है। सूत्र - १३५
मृत शरीर पर मक्खी बण-बण करती है । सड़े हुए माँस में से सुल-सुल आवाझ आती है । उसमें उत्पन्न हुए कृमि समूह मिस-मिस आवाज करते हैं। आंत में से थिव-थिव होता है। इस तरह यह काफी बिभत्स लगता है सूत्र - १३६
प्रकट पसलीवाला भयानक, सूखे जोरों से युक्त चेतनारहित शरीर की अवस्था जान लो । सूत्र-१३७
नौ द्वार से अशुचि को नीकालनेवाले झरते हुए कच्चे घड़े की तरह यह शरीर प्रति निर्वेद भाव धारण कर लो। सूत्र-१३८
दो हाथ, दो पाँव और मस्तक, धड़ के साथ जुड़े हुए हैं । वो मलिन मल का कोष्ठागार हैं । इस विष्ठा को तुम क्यों उठाकर फिरते हो? सूत्र - १३९
___ इस रूपवाले शरीर को राजपथ पर घूमते देखकर खुश हो रहे हो और परगन्ध से सुगंधित को तुम्हारी सुगन्ध मानते हैं। सूत्र-१४०
गुलाब, चंपा, चमेली, अगर, चन्दन और तरूष्क की बदबू को अपनी खुशबू मानकर खुश होते हो।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (तंदुलवैचारिक) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद
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